।। अजय ठाकुर ।।
चौपारण : हजारीबाग जिले के चौपारण प्रखंड के डुमरी गांव में सेवा निवृत्त पुलिस निरीक्षक बालेश्वर साव का परिवार 1911 से मोहर्रम के अवसर पर तजिया उठाते आ रहा है. डुमरी गांव में शत प्रतिशत हिन्दू सामुदाय के लोग हैं, बावजूद गांव के बीचो-बीच सदियों से इमामाबाड़ा का चौका बना हुआ है. जहां आज भी हर वर्ष मोहर्रम के अवसर पर फातिया का रश्म हिन्दू सामुदाय के लोगों द्वारा किया जाता है.
* गांव के लोग देते हैं ताजिया को कंधा
गांव के लोग जाति, धर्म एवं सम्प्रदाय से उठकर ताजिया को कंधा देकर जुलुस के साथ बड़ा अखाड़ा में एकत्रित होते हैं. जहां अन्य अखाड़े के लोग डुमरी से आने वाले ताजिया का इंतजार रहते हैं. जैसे ही हिन्दू सामुदाय के लोग ताजिया लेकर बड़ा अखाड़ा पर पहुंचे हैं. यहां दोनों सामुदाय के लोग एक दूसरे के साथ गले मिलते हैं. उसके बाद सभी ताजिया के साथ डुमरी के ताजिया में रखी मिट्टी को कर्बला में दफन किया जाता है.
* दादा आदमसमयसे मेरे परिवार के लोग उठा रहे ताजिया : बालेश्वर
सेवा निवृत्त पुलिस निरीक्षक बालेश्वर साहू ने बताया कि उनके परिवार के लोग दादा आदम समय से ताजिया उठाते आ रहे हैं. उनके परिवार के लिए मोहर्रम का त्यौहार आस्था से जुड़ा हुआ है.
बालेश्वर ने बताया, 1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के समय उनके परिवार ने ताजिया उठाना बंद कर दिया था, लेकिन उसके बाद उनके घर में आकस्मिक घटनाएं होने लगी. परिवार के कई सदस्यों की असामयिक मौत हो गयी और आर्थिक हानि भी होने लगी.
घटना के बाद बालेश्वर के परिवार ने फिर से मोहर्रम के अवसर पर ताजिया उठाने लगा. साहू का पूरा परिवार खुद ताजिया बनाता है. जिसमें दिनेश साव,लखन साव,अर्जुन साव,ब्रह्मदेव साव,रामाधीन साव,बिजय साव,बालेश्वर साहू की पत्नी रानी देवी के अलावा कौशल्या देवी,सावित्री देवी,भुनेश्वर यादव एवं बिरेन्द्र रजक,मो असगर सहित कई लोगों का सहयोग रहता है.