हजारीबाग : संत कोलंबा महाविद्यालय उर्दू विभाग में बुधवार को राष्ट्रीय उर्दू भाषा विकास परिषद, नयी दिल्ली एवं अल बरकात एजुकेशनल ट्रस्ट के सहयोग से सेमिनार का आयोजन अनमोल डेल्टा हॉल में किया गया. सचिव डॉ जमाल अहमद ने कार्यक्रम की शुरुआत की. कहा कि उर्दू अपने मुल्क की हमदम और तहजीब की भाषा है.
इसके शब्द दिल में ऐसे उतरते हैं कि हम मिठास भूल जाते हैं. अध्यक्षता पूर्व कुलसचिव प्रोफेसर इएन सिद्दीकी ने की. कार्यक्रम में कुलसचिव विभावि डॉ बंशीधर रूखैयार, रांची विवि उर्दू विभागाध्यक्ष मंजर हुसैन मौजूद थे. मंच संचालन प्रो जैन रोमिश ने किया. स्वागत भाषण संत कोलंस महाविद्यालय प्राचार्य डॉ सुशील कुमार टोप्पो ने दिया. कहा कि महाविद्यालय का उर्दू विभाग 1904 से शहर में साहित्यिक कार्य को मजबूती दी है. बंशीधर रुखैयार ने कहा कि किसी मुल्क को तहजीब और इंसानियत सीखनी है, तो हिंदुस्तान से सीखें.
मंजर हुसैन ने कहा कि उर्दू जबान अपने वजूद की शुरुआत से ही दिलों को जोड़ने का काम किया है. इनाम नबी सिद्दीकी ने कहा कि उर्दू जबान नहीं, बल्कि तबीयत और तहजीब का नाम है. प्रोफेसर जैन रामिश ने कहा कि उर्दू तहजीब हमारे मुल्क हिंदुस्तान की मांग की वह कहकशां है, जिससे इसका हुस्न दोबाला हो जाता है.
प्रो हुमायूँ अशरफ ने कहा कि इस विषय पर सेमिनार होना वक्त की जरूरत है. हमारा मुल्क गंगा जमुनी तहजीब की गवाह है, जिसे बचाना है. मौके पर डॉ आशिक खान की पुस्तक गुलसताने अदब का विमोचन किया गया. समापन समारोह में काजी मतीन उल हसन शामिल हुए. मौके पर प्रो मोसुफ अहमद, प्रो अब्दुल मतीन अहमद, डॉ शमीमा कलीम, डॉ जफरला सादिक, डॉ नुदरुत निशा, डॉ आशिक खान, डॉ अफताब हसन, डॉ रौनक नाज, डॉ एजाज, डॉ सरवर अली, डॉ जाकिर हुसैन, मो असलम, डॉ राजू राम, मो जुनैद, प्रो राखो हरि, प्रो सुरेंद्र कुशवाहा, राजकुमार चौबे, डॉ जयप्रकाश रविदास, डॉ सविता शीतल, डॉ पार्वती कश्यप आदि मौजूद थे. धन्यवाद ज्ञापन अल बरकात ट्रस्ट के सचिव शौकत बरकाती ने किया.