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स्वजल योजना लागू करनेवाला देश का पहला जिला बना हजारीबाग
हजारीबाग : हजारीबाग जिला विकास कार्यों को बेहतर ढंग से उतारने में कटिबद्ध है. देश में सबसे पहले स्वजल योजना लागू करने का श्रेय हजारीबाग जिले को मिला है. स्वजल योजना लागू करने में सक्रियता व सफल क्रियान्वयन के लिए जिला प्रशासन की सराहना हो रही है. डीसी रविशंकर शुक्ला की सकारात्मक पहल, दूरगामी सोच […]
हजारीबाग : हजारीबाग जिला विकास कार्यों को बेहतर ढंग से उतारने में कटिबद्ध है. देश में सबसे पहले स्वजल योजना लागू करने का श्रेय हजारीबाग जिले को मिला है. स्वजल योजना लागू करने में सक्रियता व सफल क्रियान्वयन के लिए जिला प्रशासन की सराहना हो रही है. डीसी रविशंकर शुक्ला की सकारात्मक पहल, दूरगामी सोच व आमजन को बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने की अदम्य इच्छाशक्ति से एक बार फिर हजारीबाग जिला गौरवान्वित हुआ है.
कटकमदाग प्रखंड के बनहा पंचायत के नवादा गांव व कटकमसांडी प्रखंड के कंचनपुर में योजना संचालित है. पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय, भारत सरकार ने 30 नवंबर, एक दिसंबर 2018 तक नैनीताल, उत्तराखंड में आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला में विशेषज्ञों द्वारा योजना के सफल क्रियान्वयन के हजारीबाग मॉडल की सराहना की.
इसे अन्य राज्यों में भी अपनाने का सुझाव दिया. बनहा, नवादा व कंचनपुर में संचालित स्वजल योजना के सफल क्रियान्वयन से कार्यशाला में पेयजल एवं स्वच्छता सचिव, झारखंड आराधना पटनायक व उपायुक्त हजारीबाग रविशंकर शुक्ला को विशेष तौर पर आमंत्रित किया गया था. कार्यशाला में डीसी ने स्वजल योजना के विभिन्न पहलुओं को रेखांकित किया. योजना संबंधी ऑडियो विजुअल प्रेजेंटेशन दिया.
कटकमदाग के बनहा नवादा व कटकमसांडी के कंचनपुर में संचालित है योजना
राष्ट्रीय कार्यशाला में जिले की इस उपलब्धि की हुई सराहना
आमलोग को शुद्ध पेयजल मुहैया कराने को लेकर कटिबद्ध जिला प्रशासन: उपायुक्त
क्या है स्वजल योजना
स्वजल योजना समुदाय आधारित एकल ग्रामीण पाइप जलापूर्ति योजना है. ओडीएफ हो चुके गांव व मुहल्लों में ग्रामसभा के माध्यम से योजना की स्वीकृति ली जाती है. इसके रख-रखाव की संपूर्ण जिम्मेवारी लाभुकों द्वारा उठायी जाती है. इसमें लोगों की भागीदारी होने की वजह से यह योजना लंबे समय तक कारगर होती है. योजना में 90 प्रतिशत राशि सरकार द्वारा वहन की जाती है. 10 प्रतिशत राशि 14वें वित्त से ग्राम सभा के माध्यम से पूरी की जाती है. झारखंड में स्वजल योजना के तहत 984 गांवों में कार्य किया जाना है.
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