गुमला. गुमला जिले में सबसे अधिक बाइक से दुर्घटनाएं हो रही हैं. 70 से 75 प्रतिशत हादसे बाइक से होती हैं. इसमें वैसे ही लोगों की जान जा रही है, जो बेवजह तेज रफ्तार से गाड़ी चलाते हैं. हेलमेट भी नहीं पहनते हैं. एक बाइक में तीन युवक भी सफर करने वाले हादसे का शिकार हो रहे हैं. गुमला में कई ऐसे युवक हैं, जो मौत से करतब कर रहे हैं. लगातार हादसे के बाद भी युवक नहीं सुधर रहे हैं. प्रशासन शहर के एक छोर पर जांच करती है, तो युवक दूसरे छोर से निकल कर भाग जाते हैं. गाड़ी की रफ्तार दिखाना अब युवकों का शौक बनता जा रहा है, जो मौत का कारण भी बन रहा है. अगर इसमें सुधार नहीं हुआ, तो एक्सीडेंट से हर दिन जानें जाती रहेंगी. गुमला में हर साल सड़क हादसों का प्रतिशत बढ़ रहा है, जबकि सड़क सुरक्षा अभियान चल रहा है. इसके बाद भी हादसे थम नहीं रहे हैं. अधिकतर मामलों में पाया गया है कि लोग शराब का सेवन कर गाड़ी चला रहे थे. इस कारण सड़क दुर्घटना से लोगों की मौत हुई. दूसरा कारण यह है कि लोग हेलमेट का प्रयोग नहीं किये. इस वजह से सड़क हादसे में उन लोगों की जान गयी. इसके अलावा कई मामलों में तेज गति व लापरवाही से गाड़ी चलाने के कारण लोगों की सड़क हादसे में मौत हुई है, जो चिंता की बात है. गुमला में कम उम्र के बच्चे बाइक चलाने से बाज नहीं आ रहे हैं. खासकर छात्र बाइक व स्कूटी से स्कूल से आते-जाते हैं. कम उम्र के बच्चों को किसी स्थिति में गाड़ी नहीं चलाना है. लेकिन गुमला में नियम कानून को ताक में रख कर बच्चे भी तेज गति से बाइक व स्कूटी चलाते हैं. इतना होते हुए भी अभिभावक बच्चों की सुरक्षा के संबंध में जागरूक नहीं कर रहे हैं. परिवहन विभाग के अनुसार सड़क हादसे में मृतकों के आश्रितों को मुआवजा का प्रावधान है. परंतु अधिकांश मामलों में लाइसेंस नहीं रहता है. या तो गाड़ी का इश्योरेंस फेल रहता है. इस कारण मुआवजा नहीं मिल पाता है. पर्सनल इंश्योरेंस भी कई लोगों को नहीं रहता है. जबकि महज 475 रुपये की राशि से पर्सनल एक्सीडेंट इंश्योरेंस लेने से चालक व गाड़ी के ऑनर का 15 लाख रुपये का कवर मिल जाता है. गुमला में नवंबर, दिसंबर व जनवरी माह में सबसे अधिक हादसे होते हैं. इसका मुख्य कारण नववर्ष की खुमारी व पर्व त्योहार है. जतरा, मेला, पर्व व नववर्ष के नाम पर लोग हड़िया व दारू का सेवन करते हैं. अब तो युवक अफीम, ब्राउन शुगर, गांजा, कोरेक्स का भी सेवन करने लगे हैं. गुमला में अभी मेला व जतरा को लेकर घूमने फिरने का दौर शुरू हो गया है. इसलिए जरूरत है. प्रशासन कागजातों की जगह तेज गाड़ी व शराब पीकर वाहन चलाने वालों पर अधिक नजर रखें.
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