गुमला. गुमला बंद अभूतपूर्व होने के बाद आदिवासी नेताओं ने राज्य के सीएम हेमंत सोरेन को सुझाव दिया है कि जिस प्रकार आदिवासी मुद्दों को लेकर झारखंड में माहौल बन रहा है. अगर मुख्यमंत्री आगे आकर इन मुद्दों व समस्याओं का निराकरण नहीं करते हैं, तो यह आने वाले 2029 के चुनाव में इसका काफी असर पड़ेगा.
सीएम को आगे आने की जरूरत : मिशिर कुजूर
आदिवासी नेता मिशिर कुजूर ने झारखंड में आदिवासी संगठनों द्वारा की गयी बंदी पर कहा कि सिरमटोली रैंप विवाद को मुख्यमंत्री को जल्द से जल्द सुलझाना चाहिए. क्योंकि आदिवासी संगठनों ने बीते पांच माह से लगातार सरकार का घेराव, रांची बंद, राज्यपाल व उपायुक्त के माध्यम से मुख्यमंत्री तक ज्ञापन कार्यक्रम चलाया जा रहा है. इससे हेमंत सोरेन सरकार व आदिवासी संगठनों के बीच टकराव की स्थिति उत्पन्न हुई है. इससे सरकार की छवि खराब हो रही है और इससे उनकी लोकप्रियता भी जा रही है. सरकार को इस पर जल्द पहल कर आदिवासी संगठनों के साथ बैठक कर इस विवाद को जल्द सुलझाना चाहिए.अपने ही घर में बेगाने लगने लगे हैं आदिवासी : महेंद्र
आदिवासी नेता महेंद्र उरांव ने कहा है कि झारखंड राज्य आदिवासियों का है. राज्य के मुख्यमंत्री भी आदिवासी हैं. इसके बाद भी राज्य की जो स्थिति बनी हुई है कि आदिवासी अपने ही घर में बेगाने लगने लगे हैं. एक तरफ केंद्र सरकार जहां सरना धर्म कोड का मामला लटका कर रखी हुई है. वहीं दूसरी तरफ राज्य में पेसा कानून का मामला फंसा है. आदिवासियों के धार्मिक स्थलों को भी समाप्त करने का प्रयास किया जा रहा है. सरकार को अपने सोच को सुधारना होगा. आदिवासी बहुल क्षेत्रों में शराब दुकान खोलने के निर्णय पर भी विचार करना होगा. कहा कि आज झारखंड बंद का अगर गुमला जिले में व्यापक असर पड़ा है.झारखंड में आदिवासियों की रक्षा जरूरी : हंदु
आदिवासी नेता हंदु भगत ने कहा है कि हेमंत सोरेन सरकार समय रहते आदिवासियों की रक्षा के लिए कोई बड़ा निर्णय नहीं लेती है, तो आनेवाले 2029 के चुनाव में इसका विपरीत परिणाम देखने को मिल सकता है. आदिवासियों के हक, अधिकार व रक्षा के लिए हेमंत सोरेन को आगे आने की जरूरत है. कहा कि जिस प्रकार पेसा कानून को लटका कर रखा गया है. यह झारखंड के आदिवासी समाज के लिए घातक है. इसके पीछे जो साजिश व राजनीति चल रही है, उसे हेमंत सोरेन सरकार को सोचना चाहिए. सिरमटोली रैंप मामले में भी अपना निर्णय स्पष्ट करना चाहिए. झारखंड का दक्षिणी छोटानागपुर शुद्ध रूप से आदिवासी क्षेत्र है.
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