Organic Farming | गुमला, जगरनाथ पासवान : गुमला जिले में नक्सलियों का सफाया होते ही वहां के ग्रामीण अब पलायन से मुंह मोड़ आत्मनिर्भर बन रहे हैं. पूर्वी क्षेत्र के कई पंचायतों में महिलाएं जैविक खेती कर रहीं हैं. खेतीबारी से ही अब कई परिवार अपनी जीविका चला रहें हैं. बच्चों को अच्छी शिक्षा और परिवार की कई अन्य जरूरतें भी पूरी हो रही है.
नक्सलियों के खौफ से पलायन को विवश थे ग्रामीण
गुमला से तकरीबन 30 किमी की दूरी पर कलिंगा पंचायत है. इस पंचायत के लोग एक समय में भाकपा माओवादी, पीएलएफआइ और पहाड़ी चीता गिरोह के दहशत में जीने को मजबूर थे. नक्सलियों के खौफ से ग्रामीण शाम होते ही अपने-अपने घरों में दुबक जाते थे. धीरे-धीरे पुलिस इस क्षेत्र में सक्रीय हुई और नक्सल को इस क्षेत्र से उखाड़ फेंका. कई नक्सलियों ने पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया. अब यह क्षेत्र पूरी तरह से नक्सल मुक्त हो चुका है.
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300 महिलाएं कर रही जैविक खेती
इस क्षेत्र में नक्सलियों का खौफ खत्म होते ही गांव के लोग अब पलायन नहीं करते हैं. अधिकतर ग्रामीण गांव में ही खेतीबारी कर अपना जीवन-यापन कर रहे हैं. क्षेत्र की लगभग 300 महिलाएं आज जैविक खेती कर रहीं हैं. ये वही महिलाएं हैं जो आज से करीब 3 साल पहले रोजगार की तलाश में दूसरे राज्य में पलायन को विवश थी. आज इन महिलाओं की जैविक खेती से बढ़िया आमदनी हो रही है. महिला किसानों की इस पहल ने गांव की तस्वीर बदल दी है.
जैविक खेती के लिए प्रसिद्ध हो रहा क्षेत्र – भोला चौधरी
समाज सेवी भोला चौधरी ने कहा कि कलिंगा पंचायत की महिलाएं अब काफी जागरूक हो गयी है. कई महिलाएं आपस में समूह बनाकर भी अच्छी खेती कर रहीं हैं, जिससे उनके घर की आर्थिक स्थिति मजबूत हो रही है. धीरे-धीरे यह पूरा इलाका अब जैविक खेती के लिए प्रसिद्ध हो रहा है. भोला चौधरी ने गुमला में जैविक खेती के लिए अलग से एक बाजार स्थापित करने की मांग की है.
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