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आदिम जनजाति गांवों तक पहुंची चलंत मेडिकल यूनिट, घर-घर मिल रही स्वास्थ्य सेवा

जिले में पीएम जनमन अभियान के तहत 3,475 आदिम जनजाति परिवारों को मिल रही स्वास्थ्य सुविधाएं

गुमला. जंगलों और पहाड़ों में बसे गुमला जिले के आदिम जनजातीय गांवों तक अब स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचने लगी हैं. गुमला उपायुक्त कर्ण सत्यार्थी के नेतृत्व में जिला स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्रधानमंत्री जनजाति न्याय महाअभियान (पीएम-जनमन) के अंतर्गत विशेष रूप से विलुप्तप्राय आदिम जनजातियों के सर्वांगीण विकास के लिए चलंत मेडिकल यूनिट्स की शुरुआत की गयी है. जिले में छह चलंत मेडिकल यूनिट्स की तैनाती की गयी है, जिनका उद्देश्य दूरस्थ और दुर्गम इलाकों में रहने वाले बृजिया, असुर, बिरहोर, कोरवा जैसे करीब 3,475 आदिम जनजातीय परिवारों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा प्रदान करना है. ये मोबाइल यूनिट्स पूरी तरह से सुसज्जित हैं, जिनमें डॉक्टर, नर्स, फार्मासिस्ट और आयुष्मान मित्र शामिल हैं. प्रतिदिन दो से तीन गांवों में दौरा करने वाली ये टीमें हर माह करीब 30 से 40 गांवों में स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचा रही हैं. इन यूनिट्स के माध्यम से किट आधारित त्वरित जांच, चिकित्सकीय परामर्श, मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं का समाधान, मधुमेह व उच्च रक्तचाप की जांच, आयुष्मान भारत गोल्डन कार्ड का निर्गमन और गंभीर रोगियों को जिला अस्पताल रेफर करने की सुविधा दी जा रही है. इधर, एडीपीआरओ अलीना दास ने बताया कि पूर्व में गुमला के कई गांवों में स्वास्थ्य सेवाओं की कमी थी. कई बार प्राथमिक इलाज के लिए भी लोगों को 10 से 20 किमी तक पैदल चलना पड़ता था. इन चलंत इकाइयों की शुरुआत से अब समय पर इलाज मिल रहा है और स्वास्थ्य स्तर में तेजी से सुधार हो रहा है. अब तक 10,000 से अधिक लोग इन यूनिट्स से लाभान्वित हो चुके हैं, जिनमें से 80 प्रतिशत लोगों ने पहली बार अपने ही गांव में स्वास्थ्य सेवा प्राप्त की. मधुमेह और उच्च रक्तचाप जैसी बीमारियों की पहचान कर सैकड़ों मरीजों को दवा और नियमित फॉलोअप की सुविधा दी गयी. मानसिक स्वास्थ्य जैसे संवेदनशील विषयों पर भी 500 से अधिक लोगों को परामर्श मिला, जिससे तनाव, अवसाद और चिंता जैसी समस्याओं का समाधान हुआ.गंभीर रूप से बीमार 200 से अधिक मरीजों को जिला अस्पताल रेफर कर समुचित इलाज कराया गया. साथ ही जागरूकता शिविरों के माध्यम से आदिवासी समुदायों को स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति जागरूक किया गया. पहले जहां केवल 10 प्रतिशत परिवार ही नियमित स्वास्थ्य जांच कराते थे, अब यह संख्या बढ़ कर 70 प्रतिशत तक पहुंच गयी है. पीएम जनमन अभियान के तहत गुमला जिले में आदिम जनजातियों की आवश्यकताओं को प्राथमिकता दी जा रही है और यह पहल उनके जीवन स्तर में बदलाव ला रही है.

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