बिशुनपुर. प्रखंड के बनारी गांव में प्रकृति पर्व सरहुल मनाया गया. मौके पर बनारी स्थित गोराटोली सरना स्थल पर स्थानीय बैग पहान व पुजार ने विधिवत मां सरना की पूजा कर क्षेत्र की सुख, समृद्धि व शांति की कामना की. इसके बाद सरना स्थल से शोभायात्रा निकाली गयी. जहां सैकड़ो खोड़हा दल के लोग ढोल नगाड़े के साथ नाचते गाते हुए शोभायात्रा में शामिल हुए. शोभा यात्रा का नेतृत्व सरहुल पूजा समिति बनारी एवं चटकपुर द्वारा किया जा रहा था. जो बनारी चेकनाका, दुर्गा मंदिर चौक, दक्षिणी कोयल नदी से होते हुए लुढ़कुड़िया स्कूल चटकपुर पहुंचा. जहां पर शोभा यात्रा सभा में तब्दील हो गया. मुख्य अतिथि महिला एवं बाल विकास मंत्री चमरा लिंडा के धर्म पत्नी ललिता लिंडा ने कहा कि हमारा सरना समाज बाकी समाज से बिल्कुल अलग है. क्योंकि हमारा समाज प्रकृति का पूजक है. उन्होंने कहा कि दुनिया में ऐसा कोई समाज नहीं है जो प्रकृति का पूजा करता है. उन्होंने कहा कि हम सरना स्थल में साल वृक्ष,पृथ्वी, हवा का पूजा करते हैं. उन्होंने कहा कि हमारा संस्कृति ही हमारा पहचान है. लोग ढोल, नगाड़ा, मांदर आदि वाद्य यंत्रों के साथ पर्व में गाना गाकर नृत्य करते हैं. इसीलिए हमलोग आदिवासी समाज की परंपरा कायम रखने के लिए नगाड़ा एवं मांदर का वितरण करता हूं. उन्होंने लोगों से आग्रह करते हुए कहा कि हमारा समाज पर्व के नाम पर शराब का सेवन कर नशे में मदहोश हो जाते हैं. हमें वैसी चीजों से बचने की आवश्यकता है. साथ ही अपने बाल बच्चों को भी नशापान से दूर रखते हुए उन्हें बेहतर शिक्षा दिलाना है. ताकि वह अपने साथ अपने समाज का विकास कर सके. उन्होंने सभी लोगों से आग्रह किया कि अपने अपने धर्म एवं संस्कृति को बचाना है. साथ ही समाज को एकजुट रहना है. क्योंकि हमारे समाज को तोड़ने के लिए कई लोग अलग-अलग भेष बनाकर आते हैं. और हमें बरगलाकर अपना स्वार्थ पूरा करने का काम करते हैं. उन्होंने कहा कि परंतु अब आदिवासी समाज जाग चुका है किसी के बहकावे में नहीं आता है. यह सबसे बड़ी उपलब्धि है. मौके पर बालेश्वर उरांव, विजय उरांव, बसनु उरांव,अभय उरांव सहित सैकड़ों की संख्या में सरना धर्मावलंबी मौजूद थे.
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