बंद हो गया स्कूल, तो मैट्रिक पास दिव्यांग सुमित्रा असुर ने जलायी शिक्षा की अलख
कतारी कोना गांव के दो स्कूल पांच साल से बंद हैं, लेकिन सुमित्रा असुर ने बच्चों की शिक्षा नहीं रुकने दी. वह सभी को नि:शुल्क पढ़ा रही हैं.
कौशलेंद्र शर्मा
गुमला जिले के चैनपुर प्रखंड मुख्यालय से 20 किमी दूर कतारी कोना गांव है. पर्वतों के बीच बसे इस आदिम जनजाति बहुल गांव में दिव्यांग सुमित्रा असुर 35 बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा दे रही हैं. रविवार को भी वह बच्चों को पढ़ाती हैं. चलने में असमर्थ सुमित्रा (32) मैट्रिक पास है.
कोई लाचार न समझे, इसलिए खुद को बच्चों को शिक्षित करने के लिए समर्पित कर दिया. वह कहती हैं कि दिव्यांग थी, इसिलए आगे नहीं पढ़ सकी. गरीबी और लाचारी गांव से निकलने नहीं दे रही. इसलिए चाहती हैं कि गांव के बच्चे पढ़-लिख कर आगे बढ़ें. इसलिए वह स्कूल के वक्त बच्चों को पढ़ाती है. समय-समय पर बच्चों को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित भी करती हैं. सुमित्रा के इस कदम से ग्रामीण भी खुश हैं. बच्चों के माता-पिता कभी कुछ पैसे सुमित्रा को दे देते हैं, इससे ही उनकी आजीविका चलती है.
ग्रामीणों के सहयोग से चल रही पाठशाला
कतारी गांव में 300 परिवार रहते हैं. इस गांव तक जाने के लिए सड़क और पुलिया नहीं है. सरकारी योजनाओं से महरूम इस गांव में दो सरकारी स्कूल थे. पांच साल से दोनों स्कूल बंद हैं, क्योंकि मास्टर जी स्कूल आते ही नहीं. स्कूल बंद होने के बाद बच्चे इधर-उधर घूमते रहते थे. यह देख सुमित्रा को अच्छा नहीं लगा. उन्होंने बच्चों को शिक्षित करने का बीड़ा उठाया. ग्रामीणों से बात की और बंद पड़े सरकारी स्कूल को खोल कर उसमें बच्चों को पढ़ाने लगीं. अभी सभी बच्चे हर दिन स्कूल जाते हैं, पढ़ाई कर रहे हैं.