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::::: तीन वर्ष अभी सेवा बाकी थी प्राचार्य की मुख्य संवाददातारांची. केअो कॉलेज गुमला के प्रोफेसर इंचार्ज डॉ शशिभूषण की सेवानिवृत्ति में अभी लगभग तीन वर्ष बाकी थे. मूल रूप से सीवान के रहनेवाले डॉ शशिभूषण का जन्म 30 जून 1953 में हुआ था. रांची कॉलेज से स्नातक व स्नातकोत्तर भूगोल विभाग से पीजी करने […]

::::: तीन वर्ष अभी सेवा बाकी थी प्राचार्य की मुख्य संवाददातारांची. केअो कॉलेज गुमला के प्रोफेसर इंचार्ज डॉ शशिभूषण की सेवानिवृत्ति में अभी लगभग तीन वर्ष बाकी थे. मूल रूप से सीवान के रहनेवाले डॉ शशिभूषण का जन्म 30 जून 1953 में हुआ था. रांची कॉलेज से स्नातक व स्नातकोत्तर भूगोल विभाग से पीजी करने के बाद 25 नवंबर 1978 में केअो कॉलेज में व्याख्याता बने. 25 नवंबर 1988 को रीडर बने. वरीयता के कारण इन्हें 31 अगस्त 2012 से कॉलेज का प्रोफेसर इंचार्ज बनाया गया. तब से वे बतौर प्रोफेसर इंचार्ज कार्य कर रहे थे. डॉ शशिभूषण को भूगोल विषय में वरीयता के कारण रांची विवि स्नातकोत्तर भूगोल विभाग के अध्यक्ष बनाया जाना था. इस बाबत पूजा अवकाश बाद अधिसूचना जारी होती, लेकिन डॉ शशिभूषण ने केअो कॉलेज गुमला में ही रहने देने का अाग्रह कुलपति से किया अौर विभागाध्यक्ष बनने पर अपनी असहमति दी थी. इन्होंने अपने कार्यकाल में केअो कॉलेज गुमला कैंपस का काफी विस्तार किया. राज्य सरकार द्वारा कॉलेज परिसर में ही एस्ट्रोटर्फ हॉकी स्टेडियम बनाने के लिए लगभग चार करोड़ रुपये की स्वीकृिति दी है. इसके अलावा कॉलेज परिसर में ही आदर्श महिला कॉलेज भी बनना है. शिक्षाविद् स्तब्ध केअो कॉलेज गुमला के प्रोफेसर इंचार्ज व भूगोल के प्राध्यापक डॉ शशिभूषण की हत्या पर रांची के शिक्षाविद् स्तब्ध हैं. रांची विवि के कुलपति डॉ रमेश कुमार पांडेय ने कहा है कि यह कायरतापूर्ण कार्रवाई है. डॉ शशिभूषण अच्छा कार्य कर रहे थे. इस तरह के कार्य की जितनी भर्त्सना की जाये, कम है. रांची विवि के प्रतिकुलपति डॉ एम रजिउद्दीन ने इस घटना की निंदा की है. कहा है कि इसकी जांच होनी चाहिए. एक छात्र द्वारा अपने ही शिक्षक की हत्या कर देना चिंता का विषय है. रांची कॉलेज के प्राचार्य डॉ यूसी मेहता ने भी धटना की निंदा की है. उन्होंने कहा है कि इस घटना के पीछे के कारणों को जानने की आवश्यकता है. कॉलेज कैंपस में इस तरह की घटना चिंतनीय है. रांची वीमेंस कॉलेज की प्राचार्या डॉ मंजु सिन्हा ने कहा है कि डॉ शशिभूषण एक सुलझे हुए अौर अच्छे व्यक्ति थे. इस घटना की जतनी भी निंदा की जाये कम है. अब सभी कॉलेज कैंपस में सुरक्षा की व्यवस्था होनी चाहिए. पूर्व सिंडिकेट सदस्य डॉ एएम तिवारी ने कहा कि डॉ शशिभूषण उनके रूम पार्टनर रह चुके थे. इस घटना के पीछे किसी साजिश से इनकार नहीं किया जा सकता है. इसकी उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए. रांची विवि शिक्षक संघ के प्रवक्ता सह सीनेट सदस्य डॉ मिथिलेश ने कहा है कि इस जघन्य हत्याकांड की जांच होनी चाहिए. एक छात्र द्वारा प्राचार्य की हत्या करने की विवि के इतिहास की यह पहली घटना है. शिक्षक नेता व सीनेट सदस्य डॉ अशोक कुमार सिंह ने भी इस घटना की निंदा की है. उन्होंने इसकी जांच कराने की मांग सरकार से की है. शिक्षाविद् की हत्या छात्र द्वारा किये जाने से पूरा शिक्षक समाज स्तब्ध है.

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