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गुमला के 220 स्कूल भवन खंडहर में तब्दील, हादसा होने की संभावना

जहां छात्र पढ़ते हैं. लेकिन डर इस बात की है कि अगर गलती से छात्र खंडहर भवन की ओर गये और छत गिर गया तो बड़ा हादसा हो सकता है. वहीं कई ऐसे स्कूल हैं. जहां भवन गिरने के कगार पर हैं. जहां बच्चे पढ़ते हैं. ऐसे, तीन साल पहले ही सरकार का आदेश निकला था. खंडहर भवनों को तोड़ना है. लेकिन गुमला शिक्षा विभाग व भवन प्रमंडल विभाग ने अभी तक इन बेकार भवनों को तोड़कर नहीं हटाया है. जिससे स्कूल में अक्सर हादसा होने का डर बना रहता है. अभी लॉकडाउन है. डेढ़ साल से स्कूल बंद है. अभी विभाग के पास समय था. खंडहर हुए भवनों को तोड़ा जा सकता था. परंतु विभाग इसपर पहल नहीं कर रहा है.

गुमला : जिस पुराने कमरे में क, ख, ग, घ की पढ़ाई होती थी. वह कमरा खंडहर बन गया है. हम बात कर रहे हैं, गुमला जिले के स्कूल भवनों की. जिले के 220 स्कूल के पुराने भवन खंडहर हो गये हैं. इन भवनों में अब पढ़ाई नहीं हो सकती. क्योंकि इन भवनों के छत का प्लास्टर टूट रहा है. दीवारें भी गिर रही हैं. दरवाजा सड़ गया है. खिड़की गायब है. कई भवन के छत तो आधा टूटकर लटका हुआ है. जिससे हादसा होने का डर है. हालांकि खंडहर भवन के बगल में अच्छे भवन है.

जहां छात्र पढ़ते हैं. लेकिन डर इस बात की है कि अगर गलती से छात्र खंडहर भवन की ओर गये और छत गिर गया तो बड़ा हादसा हो सकता है. वहीं कई ऐसे स्कूल हैं. जहां भवन गिरने के कगार पर हैं. जहां बच्चे पढ़ते हैं. ऐसे, तीन साल पहले ही सरकार का आदेश निकला था. खंडहर भवनों को तोड़ना है. लेकिन गुमला शिक्षा विभाग व भवन प्रमंडल विभाग ने अभी तक इन बेकार भवनों को तोड़कर नहीं हटाया है. जिससे स्कूल में अक्सर हादसा होने का डर बना रहता है. अभी लॉकडाउन है. डेढ़ साल से स्कूल बंद है. अभी विभाग के पास समय था. खंडहर हुए भवनों को तोड़ा जा सकता था. परंतु विभाग इसपर पहल नहीं कर रहा है.

220 भवन के 496 कमरा खंडहर :

शिक्षा विभाग की रिपोर्ट के अनुसार गुमला जिले के 12 प्रखंड में 220 स्कूलों के 220 भवन जर्जर है. इन 220 भवनों में करीब 496 कमरा है. सभी कमरा बेकार है. किसी की छत टूटकर गिर गयी है, तो किसी की दीवार धंस गयी है. कमरे में बैठने का फर्श भी टूटा हुआ है. कई स्कूल भवन खंडहर हो गया है. 220 पुराने भवनों की जो स्थिति है. अगर इसे जल्द तोड़कर समतल नहीं किया गया तो कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है. कई भवन की छत तो इस प्रकार हवा में झूल रहा है, जो कभी भी गिर सकता है. हालांकि जर्जर भवनों की ओर छात्रों को जाने पर रोक है. खुद शिक्षक बच्चों पर नजर रखते हैं कि बच्चे गलती से बेकार भवन में न घुस जाये. जिससे हादसा हो. लेकिन यहां सवाल यह भी है कि कब तक शिक्षक बच्चों को बेकार भवनों की ओर जाने से रोकते रहेंगे. क्योंकि जर्जर व बेकार भवन स्कूल परिसर में ही है.

भवन प्रमंडल विभाग नहीं ले रहा रूचि :

सरकार ने तीन साल पहले आदेश जारी किया था. जर्जर स्कूल व बेकार भवनों को तोड़कर हटाये. साथ ही भवन तोड़ने में जो खर्च आता है. भवन तोड़कर जो सामग्री बेची जाती है. उस पैसे को भवन तोड़ने वाले मजदूरों को दिया जाना है. लेकिन शिक्षा विभाग जर्जर भवनों को नहीं तोड़ पाया. शिक्षा विभाग के अनुसार जो जर्जर भवन है. उसकी सूची भवन प्रमंडल विभाग गुमला को सौंपी गयी है. जिससे भवन प्रमंडल इन भवनों को तोड़कर हटा दें. लेकिन सूची प्राप्त होने के बाद भी भवन प्रमंडल अभी तक इन जर्जर भवनों को तोड़ने की कोई पहल शुरू नहीं की है.

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