गुमला : सदर प्रखंड गुमला के इरोफटकपुर निवासी सुनीता देवी ने अपनी बेटी नेहा कुमारी का नामांकन गुमला के केजीबीवी (कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय) में कक्षा छह में कराने गुहार लगायी है. इस गुहार लेकर सुनीता मंगलवार को डीसी के जनता दरबार में पहुंची थी. सुनीता ने डीसी को बताया कि साहब मेरी बेटी नेहा कुमारी वर्ग पांच तक पढ़ी है.
नेहा पढ़ाई में तेज है, पर घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण बेटी काे आगे नहीं पढ़ा पा रहे हैं. इसलिए मेरी बेटी को गुमला के केजीबीवी में कक्षा छह में नामांकन कराने का निर्देश दें. सुनीता ने बताया कि उनका चार सदस्यीय परिवार है.
उन लोगों का मुख्य पेशा मजदूरी है. मजदूरी करने के लिए उत्तर प्रदेश जाते हैं, जहां वह अपने पति सुरेंद्र महली के साथ छह माह तक ईंट भट्ठा में मजदूरी करती है. बरसात के मौसम में वापस गांव आती है. बरसात के मौसम में काम नहीं मिलता है, इसलिए गांव में ही रहती है. यदि उसकी बेटी केजीबीवी में पढ़ेगी, तो उसका भविष्य संवर जायेगा. सुनीता की गुहार सुनने के बाद डीसी ने आश्वासन दिया कि नेहा का नामांकन केजीबीवी में करा देंगे. इसी प्रकार सिसई निवासी सत्यनारायण साहू ने डीसी से अपनी जमीन की बिक्री के लिए अनुमति देने की मांग की है.
सत्यनारायण ने बताया कि उसने उक्त जमीन काे लाधु उरांव से खरीदा है. जिसे बेच कर अपनी बीमार पत्नी का इलाज कराना चाहता है, परंतु जमीन की रजिस्ट्री नहीं होने के कारण जमीन बिक्री नहीं हो रही है. सत्यनारायण ने बताया कि पूर्व में उक्त जमीन का मामला अनुमंडल पदाधिकारी गुमला के न्यायालय में चल रहा था. उस समय जांच पड़ताल करने और लाधु उरांव को पूरा मुआवजा देने के बाद निर्णय मेरे पक्ष में हुआ है. इसके बाद भी रजिस्ट्री ऑफिस से जमीन की रजिस्ट्री नहीं हो रही है. वर्तमान में पैसे की काफी सख्त जरूरत है.
जमीन बिक्री से जो पैसा आयेगा, उस पैसे बीमार पत्नी का इलाज कराने में सुविधा होगी. वहीं ग्राम नवागढ़ डुंबरटोली, गुमला निवासी तेलेस्फोर कुजूर ने उपायुक्त से राशन कार्ड में नाम नहीं होने के कारण होने वाली समस्याओं का उल्लेख करते हुए बताया कि मैं बोन कैंसर का मरीज हूं. मुझे आयुष्मान भारत योजना के तहत अपना इलाज करवाना है, परंतु राशन कार्ड के अभाव में इलाज नहीं करा पा रहा हूं.