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साहब, गांव में पानी नहीं है, 30 एकड़ खेत की फसल मर रही है, फसल को बचाने में मदद करें

गुमला/बसिया : साहब, गांव में सिंचाई के लिए पानी नहीं है. पानी नहीं मिलने से 30 एकड़ की फसल मर रही है. कुछ फसल तो मर भी गयी है. कुछ फसल जीवित है, उस फसल को बचाने में प्रशासन हम किसानों की मदद करे. यह मार्मिक पुकार बसिया प्रखंड के बोंगालोया जामटोली के किसानों की […]

गुमला/बसिया : साहब, गांव में सिंचाई के लिए पानी नहीं है. पानी नहीं मिलने से 30 एकड़ की फसल मर रही है. कुछ फसल तो मर भी गयी है. कुछ फसल जीवित है, उस फसल को बचाने में प्रशासन हम किसानों की मदद करे. यह मार्मिक पुकार बसिया प्रखंड के बोंगालोया जामटोली के किसानों की है. इस गांव के सोमरा उरांव, जयपाल उरांव, अनिता देवी, मंगरा उरांव सहित कई किसानों ने करीब 30 एकड़ में खेती की है.

खेत में परवल, खीरा, बोदी, चना, करेला सहित अन्य फसल लगायी गयी है. इसके अलावा आम, पपीता, नींबू, अनानास व अमरूद का पौधा भी लगाया गया है. लेकिन पटवन के अभाव में फसल मर रही है.
किसानों ने बताया कि जामटोली गांव में मनरेगा से न तो कुआं बना है और न ही तालाब. जबकि कुआं व तालाब बनाने के लिए प्रशासन को आवेदन सौंपा गया है, लेकिन प्रशासन ने इसपर ध्यान नहीं दिया. यहां तक कि नेताओं को भी गांव की समस्या से अवगत कराया गया है, लेकिन किसानों के दर्द को किसी ने दूर करने की कोशिश नहीं की. यही वजह है कि फसल बर्बाद होने के बाद बोंगालोया गांव से किसान पलायन कर रहे हैं.
अबतक 80 से अधिक किसान पलायन कर दूसरे राज्य चले गये हैं. इसकी सूचना प्रशासन को दी गयी है, लेकिन प्रशासन गांव की समस्या दूर करने की पहल नहीं कर रहा है. बीडीओ तो गांव जाना ही नहीं चाहते हैं. गांव की अनिता देवी ने कहा कि पंचायती राज के नौ साल हो गये है, लेकिन इन नौ सालों में पंचायती राज द्वारा गांव में किसी प्रकार का काम नहीं किया गया है.
आज स्थिति यह है कि गांव के खेत पानी को तरस रहे हैं. जयपाल उरांव ने कहा कि मैंने कई बार प्रशासन को आवेदन सौंप कर कुआं व तालाब बनवाने की मांग की, लेकिन प्रशासन ने सुध नहीं ली. जयपाल ने कहा कि प्रशासन की बेरुखी के बाद हमलोगों ने श्रमदान से एक कुआं खोदा था, लेकिन वह धंस गया. उस धंसे कुएं में कुछ पानी है. उससे फसल को बचाने का प्रयास कर रहे हैं. अगर पानी खत्म हुआ, तो पूरी फसल इस गर्मी में मर जायेगी.

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