गुमला : सिसई प्रखंड के कुर्गी गांव निवासी वासुदेव उरांव की पत्नी मानती देवी (28) के गर्भ में नवजात शिशु की मौत हो गयी. वहीं उसका गर्भाशय भी खराब हो गया. इसपर परिजनों ने डॉक्टर व एएनएम पर लापरवाही का आरोप लगाया है. इस संबंध में पति वासुदेव उरांव ने कहा कि सरकार संस्थागत प्रसव के लिए जागरूकता अभियान चलाती है.
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गर्भ में शिशु की मौत, गर्भाशय खराब करने का लगाया आराेप
गुमला : सिसई प्रखंड के कुर्गी गांव निवासी वासुदेव उरांव की पत्नी मानती देवी (28) के गर्भ में नवजात शिशु की मौत हो गयी. वहीं उसका गर्भाशय भी खराब हो गया. इसपर परिजनों ने डॉक्टर व एएनएम पर लापरवाही का आरोप लगाया है. इस संबंध में पति वासुदेव उरांव ने कहा कि सरकार संस्थागत प्रसव […]
लोगों से संस्थागत प्रसव कराने की बात कहती है. लेकिन मैंने अपनी पत्नी को संस्थागत प्रसव के लिए स्वास्थ्य उपकेंद्र शिवनाथपुर में भर्ती कराया था, लेकिन एएनएम ने उसे अंदर कमरे में ले जाकर क्या किया, जिससे मेरे बच्चे की मौत हो गयी व मेरी पत्नी का गर्भाशय खराब हो गया. उन्होंने पत्नी का गर्भाशय खराब करने व बच्चे की जान लेने का आरोप स्वास्थ्य विभाग पर लगाया है.
जानकारी के अनुसार, वासुदेव उरांव ने मंगलवार की दोपहर तीन बजे स्वास्थ्य उपकेंद्र में अपनी पत्नी मानती देवी को प्रसव के लिए भर्ती कराया था, जहां एएनएम उसे प्रसव रूम में ले जाकर जांच की. नार्मल प्रसव कराने का प्रयास किया, जिससे उसकी स्थिति बिगड़ गयी. तब एएनएम ने उसे रेफरल अस्पताल सिसई के लिए रेफर कर दिया, जहां रेफरल अस्पताल की महिला डॉक्टर ने उसकी जांच की.
दर्द के लिए दवा दी, लेकिन उसका प्रसव नहीं होने पर शाम साढ़े पांच बजे सदर अस्पताल गुमला रेफर कर दिया. उसके बाद परिजन उसे लेकर रात 7:30 बजे सदर अस्पताल पहुंचे, जहां चिकित्सक ने उसकी जांच की. जांच में बच्चे का धड़कन नहीं चल रहा था, जिससे चिकित्सक को अंदेशा हो गया कि बच्चे की मौत हो गयी है.
उन्होंने सदर अस्पताल में रख कर कुछ घंटे नार्मल प्रसव होने का इंतजार किया. चूंकि रेफरल अस्पताल सिसई में उसे दर्द की दवा पड़ चुकी थी, इसलिए फिर से चिकित्सक ने दर्द की दवा नहीं दी. उसकी स्थिति को बिगड़ता देख कर चिकित्सक ने बेहतर इलाज के लिए उसे रात 1.55 बजे रिम्स रेफर कर दिया गया.
रिम्स में उसका ऑपरेशन हुआ, तो गर्भाशय के साथ मृत बच्चे को बाहर निकाला गया. इस संबंध में चिकित्सक डॉ रश्मि ने कहा कि मानती देवी का पहला बच्चा सिजेरियन से हुआ था और दूसरा नार्मल हुआ था. इस बार भी नार्मल होना था. मुंह भी बन गया था, लेकिन सिसई रेफर होकर आने के बाद बच्चे की धड़कन नहीं थी, जिससे बच्चे की मौत होने की जानकारी हो चुकी थी.
सिसई में मानती को दर्द होने की दवा दी गयी थी, इसलिए मैंने यहां दर्द की दवा नहीं दी. कभी-कभी मृत बच्चा भी नार्मल होता है. मैंने इंतजार किया, लेकिन नहीं होने पर उसे रेफर कर दिया. इस संबंध में सिविल सर्जन डॉ सुखदेव भगत ने कहा कि मीडिया के माध्यम से मामले की जानकारी मिली है. सिजेरियन में फंडर प्रेशर दिया जाता है. सर्विस ओपेन है, तो जोर लगाना पड़ता है. गर्भवती जोर नहीं लगाती है, तब भी फंडर प्रेशर दिया जाता है. फिर भी इस मामले की जांच करा कर दोषियों पर कार्रवाई करूंगा.
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