दुर्जय पासवान
गुमला : गुमला रिमांड होम के बालबंदी गंदगी के बीच रह रहे हैं. शौचालय भी गंदा है. बालबंदी खुजली बीमारी से परेशान हैं. रिमांड होम की जो स्थिति है, अगर जल्द इसकी साफ-सफाई नहीं की गयी, तो कई बालबंदी गंभीर रूप से बीमार हो जायेंगे. जैसा बाल बंदी बता रहे हैं : दो महीने से रिमांड होम में झाड़ू नहीं लगा है. प्रशासन को इसकी सूचना दी गयी है, परंतु प्रशासन भी सुध नहीं ले रहा है. इस कारण रिमांड होम में बंद 67 बाल बंदियों को बीमार होने का डर है. कैदियों की मानें, तो रिमांड होम का संचालन जैसे-तैसे हो रहा है.
समाज कल्याण विभाग की दलील
समाज कल्याण विभाग के अनुसार, यहां झाड़ू पोछा व रसोइया से लेकर अधीक्षक तक का पद रिक्त है. पानी, बिजली व सुरक्षा की भी समस्या है. रिमांड होम की स्थापना वर्ष 2008 में गुमला शहर से चार किमी दूर सिलम घाटी में हुई थी. 10 साल गुजर गये, लेकिन अभी तक रिमांड होम के स्वीकृत 23 पदों को भरा नहीं गया है. काम चलाऊ कर्मचारी व पदाधिकारी के भरोसे रिमांड होम चल रहा है. ऐसे अभी समाज कल्याण विभाग गुमला द्वारा रिमांड होम का संचालन किया जा रहा है.
सरकार द्वारा सुविधा व मैन पावर (कर्मचारी, अधीक्षक, सुरक्षा) की व्यवस्था नहीं करने के कारण रिमांड होम में विभिन्न केसों में बंद बाल बंदियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. सबसे ज्यादा परेशान समाज कल्याण विभाग है. कारण सुविधा नहीं मिलने पर बाल बंदी हंगामा करते हैं. रिमांड होम में वाच टावर नहीं लगा है, जिसका फायदा रिमांड होम में बंद कुछ बाल बंदी उठाते हैं. रिमांड होम में पानी, बिजली व सुरक्षा की समस्या को लेकर समाज कल्याण पदाधिकारी द्वारा झारखंड सरकार के सचिव को कई बार पत्र लिख कर समस्या से अवगत कराया गया. लेकिन समस्या दूर करने की दिशा में कोई पहल नहीं की गयी. नतीजा अभी तक रिमांड होम में समस्या है.
डॉक्टर नहीं, अस्पताल जाना पड़ता है
रिमांड होम में डॉक्टर व स्वास्थ्यकर्मी नहीं हैं, जबकि दो डॉक्टर व एक कर्मी का पद स्वीकृत है
दोनों पद रिक्त है. जिस कारण जब कोई बालबंदी बीमार होता है, तो उसे गुमला अस्पताल इलाज के लिए लाया जाता है. कई बार तो गंभीर रूप से बीमार होने पर देर रात को बंदियों को अस्पताल लाना पड़ता है. बंदियों ने कहा कि सप्ताह में एक दिन रिमांड होम में डॉक्टर से जांच की व्यवस्था हो.
रिमांड होम में स्वीकृत पद
अधीक्षक का पद रिक्त है. इसी प्रकार गृहपति का एक, परामर्शी दो, केस वर्कर एक, व्यावसायिक अनुदेशक दो, शिक्षक एक, चिकित्सा पदाधिकारी दो, पारा चिकित्साकर्मी एक, लेखापाल एक, चालक एक, रसोइया एक, हेल्पर दो, झाड़ूदार दो, कला व संगीत शिक्षक एक, माली एक, रात्रि प्रहरी एक, अनुसेवक एक, शारीरिक अनुसेवक के एक पद स्वीकृत हैं, लेकिन अधिकतर पद रिक्त हैं.
18 माह से कुक को मानदेय नहीं मिला
रिमांड होम में रसोइया शीत नाग व नारायण भगत हैं. वहीं सफाईकर्मी पिंटू राम है. इन लोगों को 18 माह से मानदेय नहीं मिला है. इन लोगों ने मानदेय की भुगतान को लेकर डीसी के जनता दरबार में भी शिकायत की थी, लेकिन अधिकारियों के उपेक्षापूर्ण रवैये के कारण कर्मचारियों को मानदेय नहीं मिला है. कूक नारायण भगत ने कहा कि किसी प्रकार काम कर रहे हैं.
बाल बंदियों की 15 मांग है
बाथरूम के पाइप को ठीक किया जाये. केस का निष्पादन हो. इनर्वटर का चार्ज ठीक करें. गटर की सफाई नियमित हो. बेड गंदा हो गया है, बदली करें. पानी रखने का ड्रम चाहिए. पानी भरने व नहाने के लिए जग व बाल्टी की जरूरत है. सेंटेक्स एक पीस जरूरी है. कंप्यूटर का सीपीयू, माउस व की-बोर्ड की मरम्मत हो. शिक्षक की जरूरत है. दवा नहीं मिल रही है. थाली व ग्लास की कमी दूर हो. वॉलीबॉल, बैडमिंटन, कैरम बोर्ड, लूडो, कॉपी व बैट बॉल की जरूरत है. गटर में ढक्कन लगाया जाये और मुलाकाती का समय बढ़ाया जाये.