स्वच्छ भारत मिशन के तहत गोड्डा नगर परिषद क्षेत्र में लाखों रुपये खर्च कर विभिन्न वार्डों में सामुदायिक शौचालयों का निर्माण कराया गया, लेकिन इनमें से अधिकांश शौचालय अब अनुपयोगी और बदहाल हो चुके हैं. एक शौचालय पर औसतन नौ लाख रुपये से अधिक खर्च किये गये, बावजूद इसके न तो इनकी नियमित सफाई हो रही है और न ही इनके रखरखाव पर कोई ध्यान दिया जा रहा है. कई शौचालयों में पानी की व्यवस्था नहीं है, टोंटियां और शीट टूटी हुई हैं, दरवाजे-खिड़कियां गायब हैं, जिससे लोग इनका उपयोग नहीं कर पा रहे हैं. वार्ड संख्या 11 स्थित मूलर्स टैंक परिसर का सामुदायिक शौचालय विभागीय लापरवाही की भेंट चढ़ गया है. छठ पर्व पर यहां हजारों श्रद्धालु आते हैं, लेकिन शौचालय की दुर्दशा के कारण ना तो स्थानीय लोग और ना ही छठव्रती इसका उपयोग कर पा रहे हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि शौचालय से उठती दुर्गंध और गंदगी के कारण बीमारियों का खतरा बढ़ गया है. सफाईकर्मी भी वहां जाने से परहेज कर रहे हैं. बाबूपाड़ा मुहल्लेवासियों का कहना है कि शौचालय निर्माण के बाद से आज तक कोई सफाई नहीं हुई है. सवाल उठता है कि नगर परिषद को जो सफाई बजट मिलता है, वह कहां खर्च होता है. लोगों ने प्रशासन से सामुदायिक शौचालयों की नियमित सफाई, मरम्मत और दुर्गंध से निजात दिलाने के लिए शीघ्र कार्रवाई की मांग की है.
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