महागामा प्रखंड स्थित कुशमहारा में चल रहे श्रीराम कथा में रविवार को सुंदरकांड प्रसंग कथा वाचक स्वामी अभिनंदन अभिषेक महाराज जी ने सुनाया. श्रद्धालुओं से मुखातिब होकर उन्होंने राम कथा में शबरी का राम के प्रति प्रेम के प्रसंग को बताया. कहा कि राम के प्रति प्रेम का उदाहरण युगों-युगों तक कहीं नहीं मिलता. भगवान ने शबरी के झूठे बैर खाकर ऊंच-नीच के झगड़ों को विराम दिया. अभिषेक महाराज ने शबरी प्रसंग में आगे कहा कि श्रीराम के वनवास गमन के समय प्रभु की अनन्य भक्त शबरी अपनी कुटिया में अपनी पलकें बिछाकर प्रेम जूठे बेर चखकर रखती थी. प्रभु को पाकर माता शबरी धन्य हो जाती है. चखे हुए झूठे बैर को बड़े ही प्रेम भाव से भगवान को खिलाती है. नारायण प्रेम के भूखे हैं. जो भक्त प्रभु का सच्चे मन से याद करता हैं, उनके ऊपर प्रभु की कृपा अपने आप बरसती है. उन्होंने कहा कि शबरी जैसी भक्ति करो तो भगवान भक्त की स्तुति करेंगे. पहली भक्ति है संतों का संग. दूसरी भक्ति सत्संग का श्रवण और तीसरी भक्ति संतों की सेवा, चौथी कपट का त्याग कर भगवान का नाम जपना है. कथा के पांचवें दिन अभिषेक आनंद जी महाराज ने श्रीमद भागवत और श्रीराम कथा को बैकुंठ जाने का मार्ग बताया. साथ ही इससे जीवन जीने की कला के बारे में भी अवगत कराया. उन्होंने कहा कि विश्वास करो, अंधविश्वास नहीं करों. रामचरितमानस से सबक लेकर चरित्र ऐसा हो जाये कि भगवान सबको देख लें. भगवान के सम्मुख जाकर तो देखो, वो आपके के जन्मों के पाप भुला कर आश्रय देंगे. लेकिन अपने पापों के कारण मनुष्य भगवान के सामने नहीं जा पाता है. कथा सुनने आसपास के गांवों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे.
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