महगामा के कुशमहारा में चल रहे सात दिवसीय भागवत कथा ज्ञान यज्ञ पांचवें दिन कथा वाचक अभिषेक शास्त्री महाराज जी ने भगवान शिव जी की स्तुति गान की. उन्होंने भगवान शिव व पार्वती का प्रसंग श्रोताओं के बीच बड़े ही नाटकीय तरीके से रखा, जो अत्यंत आकर्षक था. शास्त्री जी महाराज ने बताया कि महाशिवरात्रि के दिन देवी पार्वती और भोलेनाथ के जन्म-जन्मांतर का साथ और पूर्णता प्राप्त प्रेम का प्रमाण है. देवी पार्वती ने सदियों प्रतीक्षा और कठोर तप के बाद फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन शिव को पति के रूप में पाया था. शिव जी सकल सृष्टि के स्वामी हैं. शिव के इत्तर माता पार्वती ने कभी कुछ और नहीं चाहा, लेकिन एक ऐसा भी वाकया है, जब भोलेनाथ को माता पार्वती के क्रोध का शिकार होना पड़ा था. इतना ही नहीं, देवी पार्वती ने क्रोध की आग में भोलेनाथ को ही श्राप दे दिया. बाद में नियति के अनुसार समय रहते हुए सब ठीक-ठाक होता चला गया. कहा कि दोनों के बीच निश्छल प्रेम था. मां पार्वती ने भगवान शिव के लिए कई सालों तक तपस्या की. शिव पार्वती विवाह को भी बेहद ही नाटकीय तरीके से श्रोताओं के बीच प्रस्तुत किया गया. इस पर श्रोता मंत्रमुग्ध हो गये.
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