झारखंड आंदोलन के प्रणेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री दिशोम गुरु शिबू सोरेन के निधन की खबर से गोड्डा जिले में शोक की लहर दौड़ गयी. पथरगामा प्रखंड के गांधी ग्राम मैदान और बोआरीजोर प्रखंड के हाट डुमरिया गांव में शोक सभाओं का आयोजन कर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी गयी. पथरगामा के कार्यक्रम में क्षेत्र के 11 गांवों के ग्राम प्रधान (माझी-हड़ाम) उपस्थित हुए. ग्राम प्रधान बैजल सोरेन के नेतृत्व में श्रद्धांजलि सभा आयोजित हुई, जहां गुरुजी की तस्वीर पर पुष्प अर्पित कर नमन किया गया. जैसे ही ग्राम प्रधान गुरुजी की तस्वीर के समक्ष पहुंचे, समूचा माहौल भावुकता से भर गया, कई ग्राम प्रधान फफक-फफक कर रो पड़े. बैजल सोरेन ने अश्रुपूरित नयनों से श्रद्धांजलि देते हुए संथाली भाषा में कहा कि इंदोम, गुरूजी, मिटताला दिसेय मिइया, अर्थात गुरुजी, आप हमें हमेशा याद आएंगे. उन्होंने कहा कि गुरुजी के जाने से आदिवासी समाज अपने सच्चे मार्गदर्शक को खो बैठा है और आज हम सभी खुद को अकेला महसूस कर रहे हैं.
गुरुजी का सपना था आत्मनिर्भर आदिवासी समाज : तेज नारायण
बोआरीजोर प्रखंड के हाट डुमरिया गांव में भी युवा समाजसेवी तेज नारायण हांसदा के नेतृत्व में श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गयी. गुरुजी की तस्वीर पर पुष्प अर्पित कर दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि दी गयी. तेज नारायण हांसदा ने कहा कि गुरुजी का सपना था कि आदिवासी समाज आत्मनिर्भर बने और वे हमेशा युवाओं को शराब से दूर रहने की सीख देते थे. आज उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि तभी मानी जाएगी जब हम उनके दिखाए मार्ग पर चलें और समाज को शिक्षा, स्वावलंबन और संघर्ष की राह पर आगे बढ़ायें. उन्होंने कहा कि गुरुजी ने झारखंड राज्य के निर्माण के लिए कठिन संघर्ष किया और महाजनी प्रथा के खिलाफ भी जोरदार लड़ाई लड़ी. आज राज्य ने एक युगपुरुष और अभिभावक को खो दिया है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

