पहाड़िया हिल असेंबली के बैनर तले पहाडिया समुदाय के लोगों ने शुक्रवार को अशोक स्तंभ पर प्रदर्शन किया. धरना-प्रदर्शन कार्यक्रम में सुंदरपहाड़ी व बोआरीजोर पहाड़िया लोगों ने प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारी शिवचरण मालतो ने बताया कि पूरे जिले में आदिम जनजाति समुदाय अपने अस्तित्व को बचाने की लड़ाई लड़ रहा है. बताया कि राज्य सरकार पहाड़िया परिवार के लोगों के प्रति गंभीर नहीं है. ऐसे में धीरे-धीरे पहाड़िया समुदाय का अस्तित्व खत्म हो रहा है. बताया कि इस सरकार में पहाड़िया समुदाय को ठगा गया है. आदिम जनजाति परिवार बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं. कहा कि आज पहाड़ को खत्म करने का काम किया जा रहा है, जबकि सरकार जानती है कि पहाड़ है तो पहाड़िया हैं. बताया कि सरकार पहाड़िया को उजाडने के लिए वनों को उजाड़ रही है. पहले वन उजाड़ा जाता है, उसके बाद खुदाई की जाती है. खनन का काम करने के दौरान पहाड़ को धीरे-धीरे काटा जाता है, ताकि पहाड़िया को उजाड़ा जा सके. यह भी बताया कि पहाड़ों में उनके पूर्वजाें की अस्थियां दफन हैं. आज वह भी खत्म हो रहा है. बताया कि मुख्यमंत्री के क्षेत्र बरहेट विस के सुंदरपहाडी में आदिवासी व आदिम जनजाति का बुरा हाल है. पहाड़िया समुदाय का दर्द किसी से छिपा नही हैं. इस सरकार में तो पहाडिया के अधिकारों का दोहन हुआ है. इसलिए जिले भर के आदिम जनजाति द्वारा एकदिवसीय धरना कार्यक्रम के माध्यम से अपनी आवाज को यहां बुलंद करने का काम किया गया है.
पदाधिकारी से मिलकर प्रतिनिधिमंडल ने सौंपा ज्ञापन
धरना कार्यक्रम के पश्चात पहाड़िया नेताओं के प्रतिनिधिमंडल ने पदाधिकारी से मिलकर ज्ञापन सौंपा है. जिसमें संसदीय कानून पेसा की धारा 4 को लागू करने, महिलाओं के पेंशन को लागू करने, राष्ट्रीय धरोहर राजमहल की पहाड़ियों का दोहन बंद करने, पावर प्लांट द्वारा कराये जा रहे माइनिंग कार्य को बंद करने, आदिम जनजाति पहाड़िया बटालियन का शीघ्र गठन करने की मांग की गयी है. प्रदर्शन के दौरान आदिम जनजाति नेताओं में बैजनाथ पहाड़िया सहित शोभाकांत मालतो, जलेश्वर पहाड़िया, जागेश्वर मालतो आदि उपस्थित थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है