राजमहल कोल परियोजना क्षेत्र में हो रही लगातार बारिश ने खनन कार्य और कोयला डिस्पैच दोनों को प्रभावित किया है. ईसीएल की सबसे बड़ी खुली खदान परियोजना मानी जाने वाली राजमहल कोल परियोजना में वर्तमान में प्रतिदिन 50 हजार टन कोयले का उत्पादन होता है, लेकिन बारिश के कारण रविवार को यह घटकर 40 हजार टन पर आ गया। यानी प्रतिदिन के लक्ष्य से 10 हजार टन कम उत्पादन हुआ है. डिस्पैच की स्थिति भी प्रभावित हुई है. सामान्यतः परियोजना से प्रतिदिन 15 रेक कोयला डिस्पैच किया जाता है, लेकिन रविवार को केवल 10 रेक कोयला ही फरक्का एनटीपीसी और कहलगांव एनटीपीसी को भेजा जा सका. यानी डिस्पैच में 5 रेक की गिरावट दर्ज की गयी है. परियोजना के प्रोजेक्ट ऑफिसर सतीश मुरारी ने बताया कि भारी वर्षा के कारण खनन क्षेत्र में फिसलन हो जाती है, जिससे सुरक्षा कारणों से खनन कार्य रोकना पड़ता है. इस दौरान मिट्टी की कटाई और कोयला खनन दोनों कार्य बंद रहते हैं. वर्षा रुकने के बाद हॉल रोड से फिसलन हटाकर खनन कार्य दोबारा शुरू किया जाता है. उन्होंने बताया कि बारिश का पानी कई जगहों पर खनन क्षेत्र में भर जाता है, जिसे मोटरों की सहायता से निकाला जाता है. इसके चलते भी खनन कार्य अस्थायी रूप से बाधित रहता है. हालांकि, वर्षा समाप्त होने के बाद परियोजना पुनः अपनी गति पकड़ लेगी और चालू वित्तीय वर्ष के निर्धारित कोयला उत्पादन लक्ष्य को अवश्य पूरा किया जाएगा.
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