गोड्डा जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था पर करोड़ों रुपये खर्च के बावजूद आम जनता को अपेक्षित सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं. कभी एंबुलेंस की अनुपलब्धता में मरीज की जान चली जाती है, तो कभी कॉल करने के बावजूद समय पर वह नहीं पहुंचती. जबकि जिले में 108 सेवा सहित सांसद और विभिन्न उपक्रमों की ओर से दर्जनभर एंबुलेंस उपलब्ध करायी गयी हैं. इसके बावजूद कहीं वह खराब पड़ी है, तो कहीं समय पर सेवा नहीं दे पा रही है. सरकार द्वारा डीएमएफटी की राशि से स्वास्थ्य व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए करोड़ों रुपये खर्च किए गए हैं, लेकिन इसका लाभ ज़मीनी स्तर पर नहीं दिख रहा है. सदर अस्पताल में आइसीयू के लिए आधुनिक मशीनें और सामग्री उपलब्ध हैं, मगर कार्डियोलॉजिस्ट और नेफ्रोलॉजिस्ट जैसी विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी के कारण हृदय रोग से पीड़ित मरीजों को रोजाना रेफर किया जा रहा है. इन्हें भागलपुर, देवघर या दुर्गापुर ले जाना पड़ता है, जिससे परिजनों पर आर्थिक बोझ बढ़ रहा है. सांसद डॉ निशिकांत दुबे ने 17 सितंबर को सदर अस्पताल में आयोजित स्वस्थ नारी सशक्त परिवार अभियान के उद्घाटन के दौरान कहा था कि केंद्र सरकार द्वारा भवन और सामग्री पर करोड़ों रुपये खर्च किए गए हैं. उन्होंने आठ एंबुलेंस भी उपलब्ध कराई हैं, लेकिन चिकित्सकीय लाभ अभी तक नहीं मिल पा रहा है. चिकित्सकों की कमी और एंबुलेंस के निष्क्रिय रहने पर उन्होंने चिंता जताई. उन्होंने मेडिकल कॉलेज खोलने की आवश्यकता भी बताई.
पोड़ैयाहाट प्रखंड: चार में एक खा रही जंग और दो एंबुलेंस देवघर के गैराज में पड़ी
पोड़ैयाहाट प्रखंड में 108 आपातकालीन सेवा की स्थिति बेहद चिंताजनक है. यहां चार एंबुलेंस हैं, जिनमें दो देवघर के गैराज में हैं और एक महीनों से जंग खा रही है. ईसीएल की एक एंबुलेंस गोड्डा में खड़ी है. ढाई लाख की आबादी वाले क्षेत्र में केवल एक एंबुलेंस कार्यरत है. 108 नंबर पर कॉल करने पर वह समय पर नहीं पहुंचती, जिससे मरीजों की जान जोखिम में पड़ रही है. पूरी तरह तैयार एंबुलेंस गैराज में धूल फांक रही है, जबकि जनता जीवन रक्षक सेवा के लिए भटक रही है.महागामा सीएचसी: एक एंबुलेंस कार्यरत, दो पांच वर्षों से पड़ी है खराब
महागामा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भी एंबुलेंस की भारी कमी है. यहां केवल एक एंबुलेंस कार्यरत है, जबकि दो पिछले पांच वर्षों से खराब हालत में परिसर में खड़ी हैं. एक अन्य एंबुलेंस का रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ है. 25 पंचायतों और नगर पंचायत क्षेत्र की हजारों की आबादी को यह अस्पताल सेवा देता है. प्रसव और दुर्घटना के मामलों में मरीजों को निजी वाहनों से अस्पताल पहुंचना पड़ता है. स्थानीय लोगों ने खराब एंबुलेंसों की मरम्मत और लंबित रजिस्ट्रेशन को शीघ्र पूरा करने की मांग की है. जदयू प्रखंड अध्यक्ष निर्मल कुमार दास और आजसू जिलाध्यक्ष सुरेश महतो ने कहा कि स्वास्थ्य सुविधा का ढांचा मजबूत किए बिना स्वस्थ भारत का सपना अधूरा रहेगा.बसंतराय प्रखंड: डेढ़ लाख की आबादी को एंबुलेंस सेवा नहीं
बसंतराय प्रखंड की आबादी लगभग डेढ़ लाख है, लेकिन यहां आज तक एक भी एंबुलेंस सेवा उपलब्ध नहीं कराई गई है. दुर्घटना के समय 108 नंबर पर कॉल करने पर घंटों इंतजार करना पड़ता है. कई बार एंबुलेंस के इंतजार में मरीज की जान चली जाती है. स्वास्थ्य विभाग के दावों पर सवाल उठना स्वाभाविक है. हनवारा उप स्वास्थ्य केंद्र को मंत्री दीपिका पांडे सिंह की पहल पर एक एंबुलेंस मिली थी, जो फिलहाल खराब है और देवघर में खड़ी है.
केस स्टडी: गोड्डा में नहीं मिली स्वास्थ्य सुविधा, मरीज को ले जाना पड़ा भागलपुर
हाल ही में दुर्गा पूजा के दौरान पोड़ैयाहाट के संतोष भगत की मां देव मुनी भगत को सांस की तकलीफ के बाद देवघर रेफर किया गया. इलाज में अब तक डेढ़ लाख रुपये खर्च हो चुके हैं. वहीं बसंतराय के भाजपा मंडल अध्यक्ष सोनू सिंह को हृदयाघात के बाद भागलपुर रेफर किया गया, जहां निजी क्लीनिक में इलाज पर लाखों रुपये खर्च हो रहे हैं. सांसद निशिकांत दुबे ने मरीज की आर्थिक स्थिति को देखते हुए इलाज की राशि का भुगतान किया.
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