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अग्रसेन भवन में शहीद निर्मल महतो को दी गयी श्रद्धांजलि

निर्मल महतो के पदचिह्नों पर चलने का लिया गया संकल्प

स्थानीय अग्रसेन भवन में शनिवार को आजसू पार्टी की ओर से शहीद निर्मल महतो के शहादत दिवस पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया. कार्यक्रम की अध्यक्षता आजसू पार्टी के जिला अध्यक्ष सुरेश प्रसाद महतो ने की. अपने संबोधन में श्री महतो ने कहा कि निर्मल महतो झारखंड राज्य के उन महान सपूतों में से एक थे, जिनके संघर्ष और बलिदान के कारण आज झारखंड राज्य का अस्तित्व संभव हो सका. उन्होंने कहा कि निर्मल महतो का गुरुजी शिबू सोरेन के साथ घनिष्ठ संबंध था और उन्होंने राज्य निर्माण के लिए संगठित और प्रभावशाली आंदोलन चलाया. कार्यक्रम के दौरान सभी सदस्यों ने दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि अर्पित की और निर्मल महतो के आदर्शों पर चलने का संकल्प लिया. जिला सचिव दिलीप कुमार सिंह ने कहा कि निर्मल महतो की शहादत व्यर्थ नहीं गयी, उन्होंने समाज और राज्य को बहुत कुछ दिया. वे जीवन भर गरीबों और मिट्टी से जुड़े लोगों के अधिकारों के लिए संघर्ष करते रहे. जिला सचिव सह मुखिया राजेंद्र प्रसाद महतो ने कहा कि ऐसे महापुरुषों का जन्म लोककल्याण के लिए होता है. उन्होंने निर्मल महतो के जीवन से सीख लेकर समाज सेवा को प्राथमिकता देने की बात कही. इस अवसर पर रंजीत सिंह, परीक्षित राज सिंह, केंद्रीय समिति सदस्य विमल कुमार विनोद, बजरंग कुमार महतो, देवेंद्र महतो सहित अनेक कार्यकर्ता व स्थानीय लोग उपस्थित रहे.

निर्मल महतो एक विचार हैं, जो आज भी झारखंड को सींचते हैं : संजीव

आजसू पार्टी के केंद्रीय सचिव एवं देवघर जिला प्रभारी संजीव कुमार महतो ने शनिवार को रंगमटिया स्थित अपने आवासीय कार्यालय में झारखंड आंदोलन के अग्रणी नेता शहीद निर्मल महतो को श्रद्धा सुमन अर्पित कर 38वें शहादत दिवस को समर्पित किया. इस अवसर पर उन्होंने कहा कि निर्मल महतो केवल एक नाम नहीं, बल्कि एक विचार हैं, जो आज भी झारखंड की आत्मा में जीवित हैं. उन्होंने जीवन भर आर्थिक, सामाजिक और प्रशासनिक शोषण झेल रहे झारखंडी समाज के लिए पथप्रदर्शक की भूमिका निभायी. संजीव महतो ने कहा कि निर्मल महतो एक सच्चे समाजवादी और भारतीय राजनेता थे, जिन्होंने झारखंड राज्य निर्माण के लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया. वे आजसू के संस्थापक और दो बार झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के अध्यक्ष भी रहे. उनका जन्म 25 दिसंबर 1950 को सिंहभूम जिले के उलिआन (जमशेदपुर) गांव में हुआ था. उन्होंने जमशेदपुर वर्कर्स यूनियन हाई स्कूल से मैट्रिक एवं कॉपरेटिव कॉलेज, जमशेदपुर से बीए की शिक्षा ग्रहण की. शिक्षा के दौरान ही उन्होंने झारखंड के शोषण को गहरायी से महसूस किया और आदिम जनजातीय आंदोलन, छात्र आंदोलनों और झामुमो के माध्यम से संघर्ष का रास्ता अपनाया. 1985 में ईचागढ़ से विधायक बने और 1986 में झामुमो के अध्यक्ष पद पर आसीन हुए.

शहादत के बाद आंदोलन हुआ और अधिक आक्रामक

8 अगस्त 1987 को निर्मल महतो की हत्या कर दी गयी, जिसके बाद झारखंड आंदोलन और भी आक्रामक और संगठित हुआ. इसी संघर्ष के परिणामस्वरूप 15 नवंबर 2000 को झारखंड एक अलग राज्य के रूप में अस्तित्व में आया. संजीव महतो ने कहा कि झारखंड के विकास और अस्मिता के लिए निर्मल महतो का बलिदान कभी भुलाया नहीं जा सकता. उनका विचार, संघर्ष और आदर्श आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत बने रहेंगे.

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