राजमहल कोल परियोजना अंतर्गत लौहंडिया पुनर्वास स्थल स्थित माता दुर्गा मंदिर में मंगलवार को मां दुर्गा के चतुर्थ स्वरूप कुष्मांडा की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना की गयी. पूजा का आयोजन पंडित पंकज चतुर्वेदी और राघवेंद्र चौबे के नेतृत्व में मंत्रोच्चारण व शास्त्र विधि के अनुसार संपन्न हुआ. पंडितों ने बताया कि मां कुष्मांडा अपने हाथ में कलश धारण करती हैं और अपने भक्तों की सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करती हैं. नवरात्रि में माता के प्रत्येक रूप का विशेष महत्व होता है और मां दुर्गा सदैव अपने भक्तों पर कृपा बरसाती हैं तथा दुष्टों का संहार करती हैं. पूजा समिति और ग्रामीणों के सहयोग से दशमी के दिन एक भव्य मेले का आयोजन किया जाएगा, जिसमें आदिवासी सांस्कृतिक कार्यक्रम विशेष आकर्षण का केंद्र होंगे. पूजा पंडाल की सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरों की मदद से लगातार निगरानी की जा रही है. इधर, प्रखंड के ललमटिया पुरानी दुर्गा मंदिर, ललमटिया स्कूल परिसर, श्रीपुर बाजार और बोआरीजोर दुर्गा मंदिर सहित कई अन्य स्थानों पर भी मां दुर्गा की विधिवत पूजा-अर्चना श्रद्धा और भक्ति के साथ की जा रही है. नवरात्र के अवसर पर पूरे क्षेत्र में भक्तिमय वातावरण बना हुआ है.
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