गोड्डा कोर्ट. झारखंड विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देश पर शनिवार को व्यवहार न्यायालय परिसर में सुलहनीय मामलों के निष्पादन के लिए राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया. राष्ट्रीय लोक अदालत का वर्चुअल शुभारंभ झारखंड के चीफ जस्टिस और झालसा के पैट्रन इन चीफ त्रिलोक सिंह चौहान ने किया. लोक सुनवाई में विभिन्न मामलों से संबंधित 16,031 वादों का निष्पादन कर 3,87,39,546 रुपये का समझौता कराया गया. निष्पादित मामलों में बैंक रिकवरी, बिजली बिल, पानी बिल, क्रिमिनल कंपाउंडेबल मामले, उपभोक्ता वाद, एमएसीटी मामले, वैवाहिक वाद, एक्साइज, सर्टिफिकेट, ट्रैफिक चालान, कोटपा एवं अन्य मामले शामिल थे. प्रधान जिला जज रमेश कुमार ने एमएसीटी के तहत दो दावाकर्ताओं के बीच दावा भुगतान के चेक वितरित किए. मामलों के त्वरित निष्पादन के लिए सात न्यायिक बेंच का गठन किया गया था. प्रथम न्यायिक बेंच में पारिवारिक विवाद, मेट्रोमोनियल, सीआरपीसी 125. सुनवाई: प्रधान जज अनिल कुमार पांडेय और एलएडीसी चीफ संजय कुमार सहाय. दूसरी बेंच में एमएसीटी, सिविल अपील, क्रिमिनल अपील, राजस्व, श्रम विवाद और अन्य ट्रिब्यूनल. सुनवाई: जिला जज पंचम नीरज कुमार विश्वकर्मा और डिप्टी चीफ रीतेश कुमार सिंह. तीसरी बेंच में बिजली से संबंधित मामले सुनवाई अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वितीय निरूपम कुमार और सहायक एलएडीसी राहुल कुमार ने की. चतुर्थ बेंच में कंपाउंडेबल मामले की सुनवाई सीजेएम, सबजज प्रथम, तृतीय, पंचम, एसडीजेएम, प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी खालिद रसीद अहमद, सतीश कुमार मुंडा और अमित कुमार ने की. पंचम बेंच में कंपाउंडेबल, एलआइ एक्ट, एक्साइज, फॉरेस्ट, माप-तौल की सुनवाई प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी मुक्ति भगत और एलएडीसी आयुष राज ने की. छठी बेंच में बैंक रिकवरी, प्री-लिटिगेशन, रेवेन्यू, म्यूटेशन, 107 सीआरपीसी, सेल्स टैक्स, पानी, होल्डिंग टैक्स, बिल, भूमि अधिग्रहण की सुनवाई प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी अमित बंसल और कार्यपालक दंडाधिकारी अभय कुमार झा ने की. सातवीं बेंच में जिला उपभोक्ता फोरम के वाद की सुनवाई प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी राज कल्याण और जिला कंज्यूमर फोरम की सदस्य अनिता मंडल ने की. इन मामलों का किया गया निष्पादन बैंक रिकवरी: 1,366 मामले, 1,72,20,539 रुपये क्रिमिनल कंपाउंडेबल: 3,029 मामले, 25,21,500 रुपये बिजली बिल: 16 मामले, 11,70,000 रुपये श्रम विवाद: 19 मामले, 5,88,751 रुपये एमएसीटी: 12 मामले, 73,45,000 रुपये वैवाहिक वाद: 37 मामले एनआई एक्ट: 14 मामले, 46,73,500 रुपये अन्य सिविल वाद: 55 मामले 107 सीआरपीसी सर्टिफिकेट केस: 123 मामले एफएफ: 123 मामले स्थाई लोक अदालत: 37 मामले, 2,00,000 रुपये फ्रंट ऑफिस: 7,647 मामले नियोजन संबंधित: 1,767 मामले ट्रैफिक: 1,527 मामले, 50,20,256 रुपये राजस्व: 171 मामले
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