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हत्या मामले में आजीवन कारावास के साथ दस हजार का जुर्माना

जुर्माना नहीं देने पर एक साल की होगी अतिरिक्त सजा 11 गवाहों के बयान के आधार पर सुनायी सजा गोड्डा : जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वितीय शिवपाल सिंह ने कठौन के चिकु मरीक को दिवाकर हजारी की हत्या के आरोप में दोषी पाते हुए आजीवन सश्रम कारावास की सजा सुनायी है. न्यायालय ने आरोपित चिकू […]

जुर्माना नहीं देने पर एक साल की होगी अतिरिक्त सजा

11 गवाहों के बयान के आधार पर सुनायी सजा
गोड्डा : जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वितीय शिवपाल सिंह ने कठौन के चिकु मरीक को दिवाकर हजारी की हत्या के आरोप में दोषी पाते हुए आजीवन सश्रम कारावास की सजा सुनायी है. न्यायालय ने आरोपित चिकू मरीक पर दस हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है. जुर्माना नहीं देने पर उसे एक साल की अतिरिक्त सजा काटनी होगी. सरोतिया गांव के दिवाकर हजारी की लाश एक फरवरी 2009 को कठौन गांव के बहियार में अमरनाथ भगत के कुएं से बरामद की गयी थी.
मृतक के परिजन ने महेश चौधरी व चिकू मरीक सहित दो अज्ञात के विरुद्ध मुफस्सिल थाने में प्राथमिक संख्या 42/09 दर्ज करायी थी. दर्ज प्राथमिकी के अनुसार मृतक मवेशी खरीद बिक्री का कारोबार करने वाले व्यापारी को पूंजी मुहैया कराता था. आमदनी होने पर पैसे की वसूली करता था. विपरीत परिस्थिति में भी उसके पास 25-50 हजार रुपये हमेशा होते थे. लेकिन जब लाश कुएं से निकाली गयी तो उसके पास कोई भी रकम नहीं थी और सिर व कमर पर जख्म के निशान पाये गये थे.
दर्ज प्राथमिकी के आधार पर चिकू मरीक को पुलिस ने गिरफ्तार कर न्यायालय के आदेश पर जेल भेज दिया था. पुलिस ने महेश चौधरी व दो अन्य को फरार दिखाते हुए चिकू मरीक के विरुद्ध दिवाकर की हत्या में संलिप्त होने का आरोप पत्र समर्पित किया था. मामला सत्र न्यायालय में विचाराधीन होने के कारण यह मुकदमा सत्रवाद 51/09 में तब्दील हुआ. अभियोजन पक्ष ने कुल 11 गवाहों के बयान के आधार पर न्यायालय ने आरोपित को दोषी पाकर सजा सुनायी है.

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