देवरी प्रखंड की खटौरी पंचायत का जेवड़ा गांव विकास से कोसों दूर है. यहां संपर्क पथ, पानी, स्वास्थ्य समेत अन्य सुविधाओं का घोर अभाव है. ग्रामीणों ने बताया कि जल जीवन मिशन के तहत दो वर्ष पूर्व गांव में बोरिंग करवाकर जलमीनार लगवाया गया, लेकिन कार्य में लगी कंपनी की मनमानी के कारण यह चालू नहीं हो पाया. योजना के तहत जलमीनार का पानी पाइपलाइन के माध्यम से घरों तक पहुंचाया जाना था, लेकिन संवेदक ने जलमीनार के पास स्टैंड पोस्ट लगाकर खानापूर्ति कर दी. वर्तमान में गांव के 20 से भी अधिक आदिवासी परिवारों को खेत में बने कुएं का दूषित पानी पीना पड़ रहा है.
टीकाकरण के लिए जाना पड़ता है छह किलो दूर
गांव में आंगनबाड़ी केंद्र की सुविधा नहीं रहने के कारण टीकाकरण आदि के लिए छह किलोमीटर दूर खुर्दगादी जाना पड़ता है. नौनिहालों को जंगली रास्ते से आंगनबाड़ी केंद्र तक ले जाने में भारी फजीहत उठानी पड़ रही है. आंगनबाड़ी केंद्र से टीकाकरण के अलावे कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है.
इलाज के लिए जाना पड़ता है तिसरी
ग्रामीणों ने बताया की गांव व पंचायत में स्वास्थ्य की सुविधा नहीं हैं. इसके कारण उन्हें तिसरी जाना पड़ रहा है. तिसरी जाने के लिए गांव के बगल से होकर गुजरी संकरी नदी को पार करना पड़ता है. नदी में सालों भर पानी रहने के कारण नदी पार करने में परेशानी का सामना करना पड़ता है. बरसात में गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति व गर्भवती को प्रसव पीड़ा होने पर चारपाई पर लादकर अस्पताल ले जाना पड़ता है.
मध्य विद्यालय में हैं दो शिक्षक
ग्रामीणों ने बताया कि सरकारी सुविधा के नाम पर गांव में उमवि जेवड़ा का संचालन किया जा रहा है. आठवीं तक की पढ़ाई के लिए यहां महज दो शिक्षक नियुक्त किये गये हैं. जैसे-तैसे बच्चे आठवीं तक की पढ़ाई हो रही है. आठवीं के बाद दूरी के कारण अधिकांश बच्चे पढ़ाई छोड़ देते हैं.
सांसद के गोद लेने के बाद भी नहीं हुआ विकास कार्य : मुखिया
खटौरी पंचायत की मुखिया तनुजा मरांडी ने बताया कि जेवड़ा गांव में सड़क की समस्या है. सड़क नहीं रहने से ही गांव का विकास नहीं हो पाया है. पूर्व में मनरेगा से कच्ची सड़क बनवायी गयी थी, लेकिन पहाड़ी से होकर गुजरे रास्ते की मिट्टी बरसात में बह गयी. इसके बाद सांसद, विधायक व वरीय अधिकारियों को समस्या से अवगत करवाकर छह किमी लंबी सड़क बनवाने की मांग की गयी. कोडरमा की सांसद अन्नपूर्णा देवी ने खटौरी पंचायत को गोद लेकर सभी गांवों में विकास करने का वादा किया था, लेकिन सड़क नहीं बन पायी है. बताया कि सड़क, पानी, स्वास्थ्य व अन्य सुविधाओं का लाभ ग्रामीणों को मिले, इसके लिए वरीय अधिकारियों को पुनः गांव की समस्या से अवगत करवाया जायेगा.क्या कहते हैं ग्रामीण
गांव की सबसे बड़ी समस्या सड़क की है. संपर्क सड़क की सुविधा के अभाव में गांव का विकास नहीं हो पा रहा है. अमझर से गादी सीमाना तक छह किमी लंबी सड़क बनने से गांव की समस्या दूर हो जायेगी. – सोनाराम सोरेन
…सड़क नहीं रहने से गंभीर रूप से बीमार होने पर चारपाई पर लादकर अस्पताल ले जाना पड़ता है. गर्भवती व नौनिहालों को प्रसव पूर्व जांच, टीकाकरण आदि करवाने में काफी फजीहत का सामना करना पड़ता है. – मुन्नी मुर्मू…
गांव में पेयजल व्यवस्था का बुरा हाल है. चापाकल से पानी नहीं निकलता है. जल जीवन मिशन के तहत बोरिंग करने व पाइपलाइन बिछाने में गड़बड़ी के कारण पानी नहीं मिला. कुआं का पानी पीना मजबूरी है. – सुदेश सोरेन…गांव में सड़क के साथ शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल जैसी बुनियादी सुविधाओं का अभाव है. आंगनबाड़ी केंद्र की सुविधा नहीं रहने से परेशानी हो रही है. स्कूल में दो शिक्षक इसके कारण ठीके से पढ़ाई नहीं होती है. – मुकेश तुरी
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

