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विशेष आवश्यकता वाले बच्चों की शिक्षा में गिरिडीह में सरिया सबसे आगे

विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए सरकार योजनाएं चला रही हैं. इसका उद्देश्य ऐसे बच्चे को यह आभास कराना है कि वह अपने आप को कुंठित नहीं समझे. माता-पिता तथा समाज के लिए बोझ ना बनें.

लक्ष्मी नारायण पांडेय, सरिया.

विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए सरकार योजनाएं चला रही हैं. इसका उद्देश्य ऐसे बच्चे को यह आभास कराना है कि वह अपने आप को कुंठित नहीं समझे. माता-पिता तथा समाज के लिए बोझ ना बनें. समाज व विद्यालय स्तर पर इन बच्चों के प्रति पूर्व में नकारात्मक सोच थी. परंतु वर्तमान समय में परिणाम ठीक उल्टा देखने को मिल रहा है. समाज इन बच्चों के प्रति काफी जागरूक है. इतना ही नहीं ऐसे बच्चे व्यावसायिक प्रशिक्षण भी प्राप्त कर स्वरोजगार से जुड़ रहे हैं. समय-समय पर प्रखंड व जिला स्तरीय राज्य स्तरीय खेलकूद प्रतियोगिता में भी उनकी महती भूमिका रही है. रिसोर्स कार्यालय सरिया के आंकड़ा के अनुसार पूरे गिरिडीह जिला में विभिन्न सरकारी अर्ध सरकारी तथा गैर सरकारी विद्यालयों में सत्र 2023 24 में 5376 दिव्यांग छात्र अध्यनरत हैं. जो वर्ष 2022-23 की तुलना में 1348 अधिक है. इसमें पूरे जिले में अन्य प्रखंडों की तुलना में विशेष आवश्यकता वाले सबसे अधिक 820 बच्चे सरिया प्रखंड के हैं. जबकि बगोदर में 521, बेंगाबाद में 359, बिरनी में 616, देवरी में 419, धनवार में 238, डुमरी में 188, गांडेय में 420, गावां में 316, गिरिडीह में 481, जमुआ में 383, पीरटांड़ में 336 व तिसरी प्रखंड में 279 दिव्यांग बच्चे विभिन्न सरकारी विद्यालयों में अध्ययनरत हैं.

नौ दृष्टि बाधित भी कर रहे पढ़ाई

सरिया के रिसोर्स शिक्षक राकेश कुमार ने बताया कि सरकार का अभियान काफी कारगर साबित हुआ है. सामाजिक व शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़े हुए वैसे दिव्यांग बच्चों में आज काफी खुश दिख रहे हैं. देश व समाज को वे भी कुछ दे सकें, इसके लिए वह भी विद्यालय जा रहे हैं. बताया कि सरिया प्रखंड के विभिन्न सरकारी विद्यालयों में नामांकित 820 बच्चों में दृष्टिबाधित नौ बच्चे, लो विजन 287, श्रवण बाधित 72, हकलाने वाले 181 बच्चे, शारीरिक रूप से अक्षम 30 बच्चे, मानसिक बीमारी से ग्रसित 24 बच्चे, अधिगम क्षमता 47, सीपी 68, स्वलीन 15 बच्चे, बहु विकलांगता दो, बौद्धिक अक्षमता 77, मांसपेशीय दुर्विकास दो, बौनापन चार समेत अन्य बच्चे नामांकित हैं. श्री कुमार ने बताया कि गत वर्ष की तुलना में विशेष आवश्यकता वाले बच्चों की संख्या में वृद्धि हुई है. दिव्यांग होने के कई कारण होते हैं. इसका मुख्य कारण माता-पिता द्वारा नशापान, पारिवारिक कलेश, बार-बार गर्भपात कराना, बिना चिकित्सीय सलाह के दवा लेना, पोषण में कमी, कम उम्र में बच्चों को जन्म देना, टीवी देखना, मोबाइल हियरिंग एड यंत्र लगाकर गाना सुनना, ध्वनि प्रदूषण, वायु प्रदूषण, सड़क दुर्घटना आदि हैं. प्रत्येक व्यक्ति को स्वस्थ व स्वच्छ जीवन के लिए उक्त बातों पर संज्ञान लेने की सलाह दी. बताया कि समावेशी शिक्षा योजना के उद्देश्य को पूरा करने के लिए विद्यालय स्तर पर दिव्यांग बच्चों की पहचान कर उनकी शैक्षिक आवश्यकताओं का आकलन करना है. सीडब्ल्यूएसएन को सहायता व उपकरण प्रदान करना समावेशी शिक्षा योजना का एक मुख्य उद्देश्य भी है. इसके तहत विशेष आवश्यकता वाले बच्चों की आवश्यकता के अनुसार उन्हें उचित शिक्षण-शिक्षण सामग्री, मार्गदर्शन, परामर्श सेवाएं, चिकित्सीय सेवाएं, व्हीलचेयर ट्राइ साइकिल क चेयर ब्रेल, बुक ब्रेल किट आदि दिया जाता है. बच्चों को विद्यालय तक पहुंचाने के लिए स्कॉट, रीडर व ट्रांसपोर्ट भत्ता दिया जाता है. इससे बच्चे उत्सुक होकर पढ़ाई कर रहे हैं.

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