जैन समाज के पर्युषण महापर्व के दौरान मधुबन स्थित शिखरजी में बीते 10 दिनों तक निर्जल व्रत में रहने वाली साधिका सरिया निवासी सरिता जैन का सोमवार को उनके गृह प्रखंड में भव्य स्वागत किया गया. गाजे बाजे के साथ जैन समाज के सैकड़ों महिला, पुरुष व बच्चों संग सरिया बाजार में भ्रमण करते हुए स्टेशन रोड स्थित दिगंबर जैन मंदिर पहुंची जहां आदिनाथ भगवान की पूजा की. आशीर्वाद प्राप्त कर समाज के लोगों के साथ प्रसाद ग्रहण किया. निर्जल व्रत में रही विकास जैन की पत्नी सरिता जैन ने बताया कि पर्युषण महापर्व को लेकर वह बीते 27 अगस्त को अपने पति व बच्चों के साथ शिखरजी गई थी जहां उन्हें अंतर्मन से निर्जल व्रत रहने का भाव जागृत हुआ. आर्यिका माताजी तथा गुरुओं से प्रेरित हुई. अपने परिजनों को बिना बताए बिना किसी की अनुमति से वह 28 अगस्त से निर्जल व्रत में रहने लगी. इस दौरान सांसारिक मायामोह, व्यापार, परिवार आदि की कभी चिंता नहीं की. बिजली, पंखे बिस्तर जैसे भौतिकतावादी वस्तुओं से दूर रहकर भगवान की पूजा अर्चना और साधना में लगी रही. 7 सितंबर को उन्होंने शिखर जी में पारण किया. बताया कि जब शुद्ध व अंतर्मन से भाव जागृत होता है तभी इस प्रकार के व्रत संभव हैं. आत्मा को तपाने, स्वर्ण से कुंदन बनाने तथा आत्म साधन का यह व्रत है. इस प्रकार के व्रत से अंतर्मन स्ट्रांग होता है. उन्होंने कहा कि भाद्रपद मास शुक्ल पक्ष में जैन धर्मावलंबियों द्वारा मनाया जाने वाला पर्युषण महापर्व वर्ष भर का एक आध्यात्मिक पर्व है जिसमें व्यक्ति अलौकिक आनंद और मोक्ष की प्राप्ति का प्रयास करता है. समाज के अन्य लोगों ने सरिता जैन के इस दृढ़ इच्छा शक्ति और निर्जल व्रत को ईश्वरीय शक्ति और गुरु की कृपा बताया. कहा कि इस प्रकार की साधना हर किसी से संभव नहीं है भगवान का आशीर्वाद तथा अंतर्मन शुद्ध होने व संयोग से ही यह कठिन व्रत संभव है. स्वागत समारोह में सरिया की शक्ल दिगंबर जैन समाज के लोग उपस्थित थे.
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