बरसात में कीचड़ और जलजमाव, तो गर्मी और सर्दी में धूल का गुबार यह स्थिति सालों से जस की तस बनी हुई है. स्थानीय निवासियों का कहना है कि बरसात के दिनों में सड़कें दलदल में तब्दील हो जाती हैं, जिससे पैदल चलना तो दूर, दोपहिया और चारपहिया वाहनों का गुजरना भी जोखिम भरा हो जाता है.
कई बार गिरकर चोटिल हो चुके हैं लोग
मोहल्ले के निवासी जयंती पांडेय, पंकज पंडित और दिगम्बर देवगन समेत अन्य लोगों ने बताया कि कई बार राहगीरों और वाहन चालकों के फिसलकर गिरने की घटनाएं भी हो चुकी हैं. वहीं गर्मी और सर्दी के मौसम में इन सड़कों से उठने वाली धूल से लोगों में खांसी, आंखों में जलन और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ जाती हैं. बताया कि जरीडीह इलाके का नगर निगम सीमा में शामिल होना कागजों पर तो दिखता है, लेकिन जमीनी हकीकत इसके उलट है. सड़क पक्कीकरण का कार्य अब तक शुरू नहीं हो पाया है.कई बार अधिकारियों को बतायी समस्या, पर नहीं हुई पहल
लोग बताते हैं कि कई बार इस समस्या को जनप्रतिनिधियों और नगर निगम अधिकारियों के सामने उठाया गया, पर नतीजा सिर्फ आश्वासन तक ही सीमित रहा. लोगों का कहना है कि खराब सड़कें न सिर्फ आवागमन में बाधा डाल रही हैं, बल्कि बच्चों के स्कूल जाने और बीमारों को अस्पताल ले जाने में भी बड़ी दिक्कतें पैदा कर रही हैं. बरसात में इन सड़कों से गुजरना किसी चुनौती से कम नहीं होता.
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