हुसैन हाथ दुआ के लिये उठा देते, तो कर्बला में भी जमजम निकल गया होता… 14 गिरिडीह. गोष्ठी में उपस्थित कवि व शायर. कसम खुदा की वह मंजर बदल गया होता, यजीदियों का कलेजा दहल गया होता. हुसैन हाथ दुआ के लिए उठा देते, तो क़र्बला में भी ज़मज़म निकल गया होता…. शायर सरफराज अहमद चांद के इस शेर ने मजमे में मौजूद लोगों को तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया. मौका था फरोग-ए-अदब गिरिडीह के तत्वावधान में आयोजित कवि गोष्ठी का. रविवार की शाम फरोग-ए-अदब के कार्यालय बरवाडीह में एक शाम शोहदाये कर्बला के नाम कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया. कार्यक्रम की अध्यक्षता फरोग-ए-अदब के संस्थापक मुख़्तार हुसैनी ने की जबकि मंच संचालन सरफराज चांद ने किया. इस गोष्ठी में मुख्य अतिथि सामाजिक कार्यकर्ता सलमान रिजवी शामिल हुए. मौके पर राशिद जमील ने बिखरे पड़े हैं पाक जमीं पे अभी जो गुल ,किस्मत हसीन देखिए कुर्बाने कर्बला वहीं सलीम परवाज ने या अली आप पर जान कुर्बान है, एक मेरा नहीं सब का ऐलान है… पेश कर वाहवाही लूटी. इसके अलावा सद्दाम हुसैन, जावेद हुसैन जावेद, निजामुद्दीन ज़हूरी,एकरामुल्हक वली, हसनैन आज़म आदि ने भी अपने नज्म, कविता व गजल से सबका मन मोहा. मौके पर बिलाल हुसैनी,आरिफ रजा, हम्माद आजम, हसनैन आजम आदि मौजूद थे.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

