इस मौके पर स्कूल के विद्यार्थी, शिक्षक-शिक्षिकाएं और स्कूल प्रबंधन के पदाधिकारी उपस्थित थे. कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य छात्रों और स्कूल स्टाफ को आपातकालीन परिस्थितियों, विशेषकर आग लगने जैसी घटनाओं से निपटने के लिए जागरूक और प्रशिक्षित करना था. इस मॉकड्रिल का नेतृत्व फायर ऑफिसर रंजीत कुमार पांडेय ने किया. उनके साथ अग्निशमन विभाग की एक प्रशिक्षित टीम भी मौजूद रही. टीम ने स्कूल परिसर में आग लगने की काल्पनिक स्थिति उत्पन्न कर मौके पर त्वरित रिस्पांस, अग्निशमन यंत्रों के इस्तेमाल और सुरक्षित निकासी की प्रक्रिया को विस्तार से प्रदर्शित किया. मॉक अभ्यास के दौरान फायर ऑफिसर रंजीत पांडेय ने बच्चों को बताया कि आग लगने की स्थिति में घबराने के बजाय सतर्क रहकर कैसे खुद की और दूसरों की जान बचायी जा सकती है. उन्होंने बताया कि स्कूल, घर या किसी सार्वजनिक स्थान पर आग लगने की स्थिति में प्राथमिक कदम क्या होने चाहिए और किन सावधानियों का पालन करना अनिवार्य होता है. इसके साथ ही बच्चों को अलग-अलग प्रकार के फायर एक्सटिंग्विशर के प्रकार, उनका उपयोग और संचालन की प्रक्रिया भी समझाई गई. टीम ने यह भी बताया कि किस तरह से कम समय में सुरक्षित बाहर निकला जा सकता है और कौन से दरवाजे या रास्ते आपातकाल में प्राथमिक रूप से इस्तेमाल किए जाने चाहिए. इस दौरान बच्चों ने अग्निशमन अधिकारियों से सवाल पूछे और पूरी तल्लीनता से अभ्यास में भाग लिया. शिक्षक-शिक्षिकाओं ने भी पूरे अभ्यास में सहयोग किया और कहा कि इस तरह की जानकारी भविष्य में किसी भी आपदा के समय बेहद उपयोगी साबित हो सकती है. फायर ऑफिसर पांडेय ने भी कहा कि बच्चों को शुरुआती उम्र से ही आपदा प्रबंधन की ट्रेनिंग देना बहुत जरूरी है, जिससे वे न सिर्फ अपनी बल्कि दूसरों की जान भी बचा सकें.
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