पशु चिकित्सालय से नहीं मिल रही सुविधा रामानंद सिंह, बगोदर. बगोदर प्रखंड की 22 पंचायतों के 250 सौ गांव के पशुपालक पशु चिकित्सा अस्पताल की कार्यशैली से परेशान हैं. पिछले दो दिनों से शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में जानवर में खान की बीमारी (खूर की मौसमी बीमारी) से ग्रसित हो रहें हैं. इसके कारण कई दुधारू पशुओं की मौत हो गयी है. इसके बाद भी विभाग इसकी रोकथाम के प्रति गंभीर नहीं है. स्थानीय लोगों को कहना है पशुओं के स्वास्थ्य की सुविधा देने की बात सरकार तो करती है, लेकिन विभागीय अधिकारों की कार्यशैली ठीक नहीं है. प्रखंड के पशु चिकित्सालय में ताला लटका रहता है. खटाल व्यवसायी अशोक कुमार यादव का कहना है कि हमलोग गौ माता की सेवा करते हैं, लेकिन मौसमी बीमारी होने पर काफी परेशानी होती है. सरकार की सुविधा नगण्य है. दवाएं काफी मंहगी हैं. लाचारी में उन्हें मंहगी दवा खरीदनी पड़ती है. पशु चिकित्सक नहीं रहने के कारण निजी चिकित्सक से इलाज करवा रहे हैं. यही हाल अन्य पशुपालकों की भी है. इस संबंध में बगोदर के पशुपालन विभाग का चिकित्सक डॉ राजेश कुमार का कहना है कि विभाग की व्यवस्था लचर है, लेकिन वह अपने काम के प्रति गंभीर है. जहां से मवेशी के बीमार होने की सूचना मिलती है, वह इलाज के लिए पहुंच जाते हैं. उनका प्रयास रहता है कि पशुओं को बीमारी से बचाये जा सके.
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बीमारी से बगोदर क्षेत्र के पशुपालक परेशान
बगोदर प्रखंड की 22 पंचायतों के 250 सौ गांव के पशुपालक पशु चिकित्सा अस्पताल की कार्यशैली से परेशान हैं.
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