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शोषण कर रहे निजी स्कूल
गिरिडीह : जिला के निजी स्कूलों में हर साल बेतहाशा शुल्क वृद्धि से अभिभावक परेशान हैं. प्राइवेट स्कूलों पर प्रशासनिक ढील का पूरा लाभ प्रबंधन उठा रहा है. प्रत्येक वर्ष निजी स्कूल प्रबंधन अपनी मनमानी करते हुए विभिन्न कक्षाओं में शिक्षण शुल्क, विकास शुल्क, री-एडमिशन के नाम पर पैसा वसूलता है. हर साल 20 से […]
गिरिडीह : जिला के निजी स्कूलों में हर साल बेतहाशा शुल्क वृद्धि से अभिभावक परेशान हैं. प्राइवेट स्कूलों पर प्रशासनिक ढील का पूरा लाभ प्रबंधन उठा रहा है. प्रत्येक वर्ष निजी स्कूल प्रबंधन अपनी मनमानी करते हुए विभिन्न कक्षाओं में शिक्षण शुल्क, विकास शुल्क, री-एडमिशन के नाम पर पैसा वसूलता है. हर साल 20 से 30 प्रतिशत शुल्क की बढ़ोतरी की जा रही है.
आश्चर्य की बात है कि प्रशासन एक-दो बैठकें कर इस मामले को ठंडे बस्ते में डालता रहा है और निजी स्कूलों के संचालक बेखौफ होकर मनमानी कर रहे हैं. गौरतलब है कि प्राइवेट स्कूल संचालक समय-समय पर जारी किये गये कोर्ट व जेट के आदेशों के अलावा आरटीइ के निर्धारित प्रावधानों को मानने के लिये भी तैयार नहीं हैं. पिछले दिनों जिला शिक्षा पदाधिकारी ने स्कूलों के संचालकों के साथ बैठक कर उन्हें पिछले पांच साल के शुल्क का चार्ट जमा करने का निर्देश दिया था.
लेकिन अब तक किसी स्कूल ने शुल्क चार्ट प्रस्तुत नहीं किया है. भाजपा के प्रशांत प्रकाश ने शुल्क वृद्धि पर अंकुश लगाने की मांग प्रशासन से की है. उन्होंने कहा कि स्कूलों के संचालन में पारदर्शिता नहीं अपनायी जा रही है. मनमाने ढंग से शुल्क बढ़ाने से अभिभावक परेशान हैं. उन्होंने कहा कि इसी मामले को लेकर पुन: 13 अप्रैल को जिला शिक्षा पदाधिकारी ने बैठक बुलायी है. जिसमें निजी स्कूलों के संचालकों को भी शामिल होने का निर्देश दिया गया है.
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