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पार्किंग जोन का टेंडर और जुर्माना वसूली नो पार्किंग जोन से भी

राकेश सिन्हा, गिरिडीह : नो पार्किंग जोन से जुर्माना के नाम पर वसूली लेकर पिछले दो दिनों से हो-हंगामा होता रहा. रविवार रहने के बावजूद नगर निगम के आयुक्त की ओर से बुलायी गयी बैठक में शहर के कई गणमान्य लोग उपस्थित हुए,लेकिन तू-तू,मैं-मैं के साथ हंगामा बढ़ता गया और अंत में शहर के लोग […]

राकेश सिन्हा, गिरिडीह : नो पार्किंग जोन से जुर्माना के नाम पर वसूली लेकर पिछले दो दिनों से हो-हंगामा होता रहा. रविवार रहने के बावजूद नगर निगम के आयुक्त की ओर से बुलायी गयी बैठक में शहर के कई गणमान्य लोग उपस्थित हुए,लेकिन तू-तू,मैं-मैं के साथ हंगामा बढ़ता गया और अंत में शहर के लोग बैठक का बहिष्कार कर धरना पर बैठ गये. इस बीच प्रभात खबर ने सरकारी प्रावधानों के साथ-साथ गिरिडीह नगर निगम के विभिन्न दस्तावेजों की पड़ताल की.
इस पड़ताल में कई सनसनीखेज मामले सामने आये हैं. बता दें कि नगर निगम परिसर के सभाकक्ष में आयोजित बैठक में अधिकारियों ने टेंडर करने का दावा तो जरूर किया, पर सच्चाई कुछ और ही निकली. झारखंड सरकार के नगर विकास एवं आवास विभाग के अधिसूचना के अनुसार गिरिडीह नगर निगम क्षेत्र के दस स्थानों को पार्किंग जोन के रूप में चिह्नित किया गया है और इन्हीं पार्किंग स्थल पर दोपहिया व चारपहिया वाहनों से वसूली के लिए नगर निगम के पत्रांक 530 दिनांक 10.07.2018 और शुद्धि पत्र ज्ञापांक 551 दिनांक 27.04.2018 के माध्यम से टेंडर निर्गत किया गया.
इस टेंडर में तीन डाक वक्ताओं ने हिस्सा लिया और अंतत: उच्चतम डाक वक्ता काजल रंजन के नाम से पार्किंग शुल्क वसूली के लिए बंदोबस्ती कर दी गयी. अखबारों में प्रकाशित टेंडर में इस बात का उल्लेख किया गया है कि स्थायी समिति के द्वारा श्रेणीवार चिह्नित पार्किंग स्थलों में दोपहिया एवं चारपहिया वाहनों की पार्किंग हेतु पार्किंग शुल्क की बंदोबस्ती की जायेगी. बता दें कि पार्किंग जोन की बंदोबस्ती होने के बाद संबंधित संवेदक ने नो पार्किंग जोन से भी जुर्माने की राशि वसूली शुरू कर दी.
गिरिडीह नगर निगम कार्यालय के सामने स्थित मुख्य मार्ग पर खुलेआम यह धंधा डेढ़ माह से जारी है. इस मामले में कोई भी अधिकारी फिलहाल स्पष्ट रूप से कुछ भी कहने को तैयार नहीं है,लेकिन शहर में खुलेआम की जा रही इस वसूली से लोग खासे परेशान हैं. जहां-तहां खड़ी गाड़ियों को टोइंग वाहन से उठा लेने और इस वाहन में चल रहे संवेदक के गुर्गों द्वारा बदतमीजी करने को लेकर कई बार हंगामा हो चुका है. शनिवार को नगर पर्षद के पूर्व उपाध्यक्ष राकेश मोदी और कांग्रेस के नेता कमलनयन सिंह के साथ भी संवेदक के गुर्गों ने न सिर्फ बदतमीजी की, बल्कि मारपीट पर भी उतारू हो गये.
ननि के कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से बनी लूट की योजना : खुलेआम लूट-खसोट के इस धंधे में सिर्फ संवेदक ही नहीं, बल्कि इसमें निगम के भी कुछ अधिकारी भी शामिल हैं. पार्किंग जोन के लिए जो टेंडर अखबारों में प्रकाशित किया गया है, उसमें यह सुझाव दिया गया है कि बंदोबस्ती की शर्तें, पार्किंग जोन की सूची गिरिडीह नगर निगम के सूचना पट अथवा विभागीय वेबसाइट udhd. jharkhand. gov.in पर देखी जा सकती है. लेकिन इस विभागीय वेबसाइट पर इस तरह की कोई सूची नहीं डाली गयी.
सूचना के नाम पर विभागीय वेबसाइट पर सिर्फ शुद्धि पत्र ही देखा जा सकता है. गौरतलब है कि टेंडर हासिल करने के बाद काजल रंजन नामक संवेदक के साथ जो एकरारनामा किया गया है, उसमें 10 पार्किंग स्थलों से पार्किंग शुल्क वसूली का विस्तृत जिक्र किया गया है. यह स्पष्ट किया गया है कि दोपहिया से पांच रुपये, तीन पहिया से दस रुपये और भारी वाहन से मोटर वाहन शुल्क से दोगुना की वसूली की जानी है,
लेकिन नो पार्किंग जोन की न ही सूची दी गयी है और न ही यह स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि वाहनों से वसूला जाने वाला दंड शुल्क कितना होगा. गौरतलब है कि पार्किंग जोन के लिए टेंडर किया गया और एकरारनामे में नो पार्किंग जोन से दंड शुल्क वसूलने की सहमति दी गयी है.
अबतक चिह्नित नहीं हुआ है नो पार्किंग जोन
झारखंड सरकार की अधिसूचना की कंडिका 5.22 के मुताबिक पार्किंग स्थल से अन्यत्र नो पार्किंग जोन, नो स्टॉपिंग जोन इत्यादि का निर्धारण शहरी स्थानीय निकायों के द्वारा किया जाना है. तत्कालीन अनुमंडल पदाधिकारी सह कार्यपालक पदाधिकारी गिरिडीह के निर्देश पर नगर पर्षद की स्थायी समिति के द्वारा 10 पार्किंग स्थलों का चयन 25 अप्रैल 2018 को किया गया था. इस समिति ने अब तक गिरिडीह नगर निगम क्षेत्र में नो पार्किंग जोन को चिह्नित नहीं किया गया है. जबकि, नो पार्किंग जोन के नाम पर जुर्माना वसूली का खेल खुलेआम खेला जा रहा है.
संवेदक को नहीं है दंड लगाने व वसूलने का अधिकार
नगर विकास एवं आवास विभाग की अधिसूचना की कंडिका 9.2 में स्पष्ट किया गया है कि नो पार्किंग जोन में पकड़े गये वाहनों से दंड का अधिरोपण शहरी स्थानीय निकाय के नगर आयुक्त या उनके द्वारा प्राधिकृत कनीय अभियंता स्तर के पदाधिकारी के द्वारा किया जायेगा.
इन बातों की जानकारी रहते हुए भी नगर निगम के अधिकारियों ने गुपचुप तरीके से संवेदक के साथ दंड वसूली का एकरारनामा तक कर लिया. जबकि, दंड लगाने व वसूलने का अधिकार किसी प्राइवेट संस्था या व्यक्ति को नहीं दिया जा सकता है. एकरारनामे की शर्त में संवेदक को दंड वसूली के लिए प्राधिकृत करना अधिकारियों के कार्यशैली पर सवाल खड़ा करता है.
तकनीकी समिति के गठन में भी हुई अनियमितता
संवेदक को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से पूरे मामले को गोपनीय व सुनियोजित तरीके से अंजाम दिया जा रहा था. अधिसूचना की कंडिका 5.3 के मुताबिक नगरपालिका मार्ग तकनीकी समिति के द्वारा पैदल यात्री, सार्वजनिक सङकों पर या सड़कों से बाहर, उपयुक्त या पर्याप्त पार्किंग समेत वाहनों के शीघ्र, सुविधाजनक एवं सुरक्षित परिचालन को सुनिश्चित करने के लिए नगरपालिका मार्ग तकनीकी समिति को अधिकृत किया गया है.
झारखंड नगरपालिका अधिनियम 2011 की धारा 405 के प्रावधान के अनुसार प्रत्येक शहरी निकाय में नगरपालिका मार्ग तकनीकी समिति का गठन किया जाना है. प्रावधान के अनुसार इस समिति में छह सदस्य होंगे. नगर आयुक्त के संयोजन में गठित समिति में एक पुलिस अधीक्षक द्वारा नामित एक पुलिस अधिकारी, अग्निशमन सेवा और विकास प्लानर से संबंधित दो अधिकारी, नगर निगम के एक इंजीनियर और सात सदस्यीय पार्षद द्वारा नामित एक पार्षद इसके सदस्य होंगे.
लेकिन, इन प्रावधानों को दरकिनार कर आनन-फानन में पांच सदस्यीय नगरपालिका मार्ग तकनीकी समिति का गठन कर लिया गया, जिसमें एक अर्बन प्लानर, एक सहायक अभियंता, एक कनीय अभियंता, एक इंफ्रास्ट्रक्चर विशेषज्ञ और एक अमीन को रखा गया है. कमेटी में एसपी के द्वारा नामित पुलिस अधिकारी और अग्निशमन सेवा से जुङे अधिकारी को दरकिनार कर दिया गया.
मामले की जांच हो रही है, विधि सम्मत कार्रवाई होगी : नगर आयुक्त
जब पूरी अनियमितता की जानकारी नगर आयुक्त गणेश कुमार को दी गयी तो उन्होंने कहा कि पूरे मामले की जांच की जा रही है. किस आधार पर संवेदक मनमाना रकम की वसूली कर रहा है या किस आधार पर कमेटियां गठित की गयी है या नो पार्किंग जोन चिन्हित किये बिना दंड की वसूली के प्रावधानों की जांच-पड़ताल की जा रही है. उन्होंने कहा कि पूरे मामले पर विधिसम्मत कार्रवाई की जायेगी. इस मामले में यदि संवेदक दोषी पाया गया तो न सिर्फ उसकी बंदोबस्ती रद्द कर दी जायेगी, बल्कि उसके खिलाफ मामला भी दर्ज कराया जायेगा.
कार्रवाई नहीं हुई तो ऊपर तक जायेंगे : चेंबर
चेंबर ऑफ कॉमर्स के जिलाध्यक्ष निर्मल झुनझुनवाला ने कहा कि सरकार के तमाम प्रावधानों के अध्ययन के बाद पत्र तैयार किया जा रहा है. कहा कि किसी भी स्थिति में शहर के लोगों के साथ अन्याय होने नहीं दिया जायेगा. कहा कि पूरे मामले पर एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जा रही है. इसके लिए चेंबर ने एक कमेटी भी गठित कर दी है.
इस कमेटी की रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद एक ज्ञापन गिरिडीह के उपायुक्त समेत नगर निगम के वरीय अधिकारियों तक सौंपा जायेगा. कहा कि नगर निगम द्वारा खुलेआम कई तरह की वित्तीय अनियमितताएं की गयी हैं. अगर इस मामले में दोषी संवेदक और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गयी तो चेंबर ऊपर तक जायेगा.
जुर्माने के रूप में मनमाना वसूली कर रहा है संवेदक
नगर निगम से एकरारनामा होने के बाद संवेदक ने मनमानी शुरू कर दी. प्रावधान के अनुसार जुर्माने की वसूली नगर आयुक्त या उनके नामित पदाधिकारी द्वारा की जानी है और यह रकम एमवीआइ एक्ट 1988 की धारा 177 के तहत वसूली जानी है. अधिसूचना की कंडिका 9.1 के मुताबिक नो पार्किंग जोन में पकड़े गये वाहन से प्रथम अपराध के लिए 100 रुपये तक का दंड लगाया जाना है व उसके बाद के अपराध के लिए 300 रुपये तक का दंड लगाया जाना है.
लेकिन संवेदक ने मनमाने ढंग से दोपहिया वाहन से 250 रुपये और चारपहिया वाहन से 500 रुपये की वसूली की. यहां तक कि साइकिल पर जा रहे फेरीवाले को भी नहीं छोड़ा. फेरीवाले से भी 250 रुपये की वसूली कर ली गयी.

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