गिरिडीह : सदर अस्पताल में तीन गर्भवती महिलाओं की मौत के मामले को लेकर शुक्रवार की शाम को माहौल गर्म हो गया. सिविल सर्जन के चैंबर में ही चिकित्सक आपस में उलझ पड़े. लगभग 45 मिनट तक सिविल सर्जन डाॅ रामरेखा प्रसाद व महिला चिकित्सक डाॅ रेखा झा, डाॅ सर्जना शर्मा तथा डॉ बबली जया मुर्मू एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाते रहे. महिला चिकित्सकों का कहना था कि वे विभिन्न परेशानियों से जूझते हुए इलाज करती हैं, जिसे देखने वाला कोई नहीं है.
जब भी किसी गर्भवती महिला की मौत हो जाती है तो सारा आरोप उन तीनों पर लगा दिया जाता है. महिला चिकित्सकों का कहना था कि वे अस्पताल में आने वाली हर एक महिला मरीज का बेहतर इलाज करने का प्रयास करती हैं, लेकिन अस्पताल में जिस तरह की व्यवस्था है उसे सुधारने के बजाय उन्हें फंसाने की साजिश रच दी जाती है. महिला चिकित्सकों के इन आरोपों पर सिविल सर्जन ने भी तीखी प्रतिक्रिया जतायी. अस्पताल में हो रही मौत का जिम्मेदार महिला चिकित्सकों की लापरवाही को बताया. इसे लेकर आरोप-प्रत्यारोप चलता रहा.
क्या है मामला : दरअसल शुक्रवार की शाम को आइएमए अध्यक्ष डाॅ विद्याभूषण के नेतृत्व में आइएमए का प्रतिनिधिमंडल सिविल सर्जन डाॅ रामरेखा प्रसाद से मुलाकात करने पहुंचा था. अध्यक्ष डाॅ विद्याभूषण महिला चिकित्सकों की समस्या को लेकर पहुंचे थे. इसे लेकर बैठक की जा रही थी जो हंगामेदार रही.
अस्पताल में मौत पर पूछा जाता है सवाल : सीएस
सिविल सर्जन डॉ रामरेखा प्रसाद ने कहा कि 10 जुलाई के बाद सदर अस्पताल में एक के बाद एक तीन गर्भवती महिलाओं की मौत हो चुकी है. सरकार उनसे इसे लेकर सवाल पूछती है. कहा कि तीनों गर्भवती महिलाओं की मौत में महिला चिकित्सकों की लापरवाही सामने आयी है. यह दुर्भाग्य है कि अस्पताल में महिला चिकित्सक महिला मरीजों का समुचित इलाज तक नहीं कर रही हैं. सदर अस्पताल आने वाले हर मरीज को यहां की चिकित्सकों से बेहतर इलाज की अपेक्षा रहती है. ऐसे में अगर अस्पताल में महिला चिकित्सक इस तरह लापरवाही करेंगी तो यह किस हद तक सही है.