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सात करोड़ की लागत से बना टाउनहॉल बेकार, 13 माह में सिर्फ सात दिन हुई बुकिंग

गोविंद उच्च विद्यालय की जमीन पर सात करोड़ रुपये की लागत से बनाये गये गढ़वा शहर के टाउनहॉल (नीलांबर पीतांबर बहुउद्देशीय सांस्कृतिक भवन) की मुश्किल से सात दिन ही बुकिंग हुई है.

पीयूष तिवारी, गढ़वा गोविंद उच्च विद्यालय की जमीन पर सात करोड़ रुपये की लागत से बनाये गये गढ़वा शहर के टाउनहॉल (नीलांबर पीतांबर बहुउद्देशीय सांस्कृतिक भवन) की मुश्किल से सात दिन ही बुकिंग हुई है. जिस उद्देश्य से टाउनहॉल का निर्माण कराया गया था, उसमें यह खरा उतरता नजर नहीं आ रहा है. एक तरह से टाउनहॉल का मेंटेंनेंस का खर्च भी इसकी बुकिंग से प्राप्त होनेवाली आदमनी से नहीं निकल पा रहा है. उल्लेखनीय है कि तीन मार्च 2024 में सात करोड़ रुपये से बने इस टाउनहॉल का उदघाटन तत्कालीन मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने किया था. तब से लेकर 31 मार्च 2025 तक यानि कुल 13 महीने में मात्र सात दिन ही इसकी बुकिंग हुई है. इससे कुल 1.35 लाख रुपये की आमदनी इससे हुई है. टाउनहॉल की बुकिंग में चार निजी संस्थान व तीन सरकारी कार्यक्रम को कराने के लिए बुकिंग की हुई है. यद्यपि अन्य सरकारी कार्यक्रम भी यहां आयोजित हुए हैं, लेकिन वे उपायुक्त व अन्य अधिकारियों के निर्देश पर नि:शुल्क तौर पर आयोजित किये गये हैं. उल्लेखनीय है कि गढ़वा टाउनहॉल नगर परिषद के अधीन है और इसकी बुकिंग के लिए नगर परिषद में निर्धारित राशि जमा कर रसीद कटवानी पड़ती है. इसकी बुकिंग के लिए नगर परिषद की ओर से निजी संस्थानों के कार्यक्रमों के लिए 25 हजार (24 घंटे के लिए) तथा सरकारी कार्यक्रमों के लिए 10 हजार रुपये की राशि तय की गयी है. लेकिन टाउनहॉल की बुकिंग शादी-विवाह आदि के लिए करने पर नगर परिषद की ओर से प्रतिबंधित रखा गया है. क्यों नहीं हो रही है टाउनहॉल की बुकिंग बताया जाता है कि टाउनहॉल बनाने के दौरान इसमें कई तरह की खामियां रखी गयी हैं, इस वजह से निजी संस्थान इसमें कार्यक्रम कराने में रूचि नहीं ले रहे हैं. इसमें प्रमुख कारण टाउन हॉल में बने स्टेज (मंच) की उंचाई है. स्टेज निर्धारित मापदंड से ज्यादा ऊंचा बनाया गया है. इसके लिए अलावा इस स्टेज की लंबाई व चौड़ाई इतनी ज्यादा है कि नीचे दर्शक दीर्घा में बैठकर स्टेज पर बैठे व्यक्ति को देखने में गरदन ऊपर उठाना पड़ेगा. साथ ही स्टेज के अंतिम छोर से सटाकर कुर्सियां लगायी जाये, तो वह नीचे से नहीं दिखेगा. मंच का हाइट ज्यादा करने के बाद उसके आगे स्टील की बैरेकेटिंग भी दर्शक दीर्घा में बैठे व्यक्ति को मंचासीनों को देखने में असहज महसूस कराती है. इसी तरह पुराने टाउनहॉल (जिसे तोड़कर उसी स्थान पर नया बनाया गया है) में करीब 1000 से ज्यादा लोगों के कुर्सी पर बैठने की क्षमता थी, जबकि नये टाउनहॉल में यह क्षमता घटाकर मात्र तीन सौ कर दिया गया है. इसमें फिक्स कुर्सियां लगायी गयी है, जिसे घटाया या बढ़ाया नहीं जा सकता है. 16 महीने में भी गेस्ट हाउस की बुकिंग दर तय नहीं टाउनहॉल के ऊपरी तल्ले में भी ठहरने के लिए तीन गेस्ट हाउस बनाये गये हैं. लेकिन उदघाटन के करीब 16 महीने होने को है, फिर भी अभी तक उसकी बुकिंग दर ही तय नहीं की जा सकी है. इस कारण से वह किराया पर नहीं लगाया जा रहा है. गढ़वा शहर में बैंक्वेट हॉल की खूब हो रही बुकिंग टाउनहॉल में बुकिंग नहीं होने की वजह से गढ़वा शहर में कई दूसरे बैंक्वेट हॉल (समारोह कक्ष मैरिज हॉल) खूब चल रहे हैं. गढ़वा शहर में करीब डेढ़ दर्जन बैंक्वेट हॉल हैं, जिनमें सार्वजनिक, राजनीतिक, सरकारी, निजी, शादी-विवाह आदि सभी कार्यक्रमों के लिए खुब बुकिंग हो रही है. हास्यास्पद स्थिति तब बन जाती है, जब सरकारी कार्यक्रम भी कई बार टाउनहॉल के बजाय इन बैंक्वेट हॉल में जाती है.

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