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गायत्री परिजनों ने जिले के 600 घरों में कराया यज्ञ

गायत्री परिजनों ने जिले के 600 घरों में कराया यज्ञ

अखिल विश्व गायत्री परिवार द्वारा बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर विश्वव्यापी गृहे-गृहे गायत्री यज्ञ व उपासना कार्यक्रम के तहत पूरे जिले में लोगों के घर-घर जाकर यज्ञ कराया. गढ़वा शहर और आसपास के गांवों में भी गायत्री परिवार के महिला-पुरूष कार्यकर्ताओं ने यज्ञ संपन्न कराया और उसके महत्व की जानकारी दी. गायत्री परिजनों ने कार्यक्रम की शुरूआत अपने घर में यज्ञ करके की. इसके बाद दूसरे के घरों में पहुंचकर यज्ञ संपन्न कराया गया. इस अवसर पर स्थानीय मंदिरों में भी सामूहिक यज्ञ किया गया. इस कारण गुरुवार की सुबह से ही शहर के लगभग सभी मुहल्लों में गायत्री मंत्र गूंज रहा था. इस दौरान लोगों को यज्ञ और उपासना का महत्व भी बताया गया. यज्ञ संपन्न कराने में गायत्री परिवार के संतन मिश्र, डॉ आलोक रंजन दूबे, मिथिलेश कुशवाहा, अनिल विश्वकर्मा, वृंदा ठाकुर, डॉ सुनील विश्वकर्मा, महिला मंडल की शोभा पाठक, अनिता देवी, मीना कमलापुरी, पूनम चौबे, सुनंदा दूबे व सत्या चौबे ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी. 600 घरों में एक साथ हुआ गायत्री यज्ञ : संजय सोनी गायत्री परिवार के मुख्य प्रबंध ट्रस्टी संजय सोनी ने बताया कि गायत्री परिवार ने गुरुवार को सुबह आठ बजे से 12 बजे के बीच गढ़वा शहर व आसपास के 100 से अधिक घरों में एक साथ यज्ञ संपन्न कराया. पूरे जिले को मिलाकर करीब 600 घरों में गायत्री यज्ञ कराये गये. इसमें महिला मंडल की प्रमुख भूमिका रही. उन्होंने बताया कि गायत्री परिजन सुबह से ही यज्ञ को लेकर उत्साह में थे. जिला मुख्यालय के गायत्री शक्तिपीठ कल्याणपुर और प्रज्ञा संस्थान निमिया स्थान सोनपुरवा में लोगों ने बुद्ध पूर्णिमा पर सामूहिक हवन यज्ञ किया. श्री सोनी ने बताया कि गायत्री परिवार ने बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर पूरे देश में एक साथ 24 लाख घरों में यज्ञ कराने का लक्ष्य रखा था. उसी के आलोक में गढ़वा जिले में भी यज्ञ कराये गये. यज्ञ पूरी तरह से वैज्ञानिक प्रक्रिया है : श्री सोनी ने कहा कि भारतीय संस्कृति को घर-घर पहुुंचाने और उसका लोगों को लाभ देने के लिए यह एक अद्भभूत प्रयोग था. इससे हमारे वायुमंडल में एक असीम उर्जा बिखरेगी तथा नकारात्मक शक्तियोंं का विनाश होगा. साथ ही इससे लोग यज्ञ और उपासना से जुड़ेंगे. उन्होंने कहा कि यज्ञ पूरी तरह से वैज्ञानिक है, जिसपर आज शोध हो चुका है. अन्य धर्मावलंबी भी इसको न सिर्फ समझने लगे हैं, बल्कि इसको अपने जीवन में भी उतार रहे हैं.

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