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जी… बच्चों में छिपी प्रतिभा निखारें

जी… बच्चों में छिपी प्रतिभा निखारें तीन दिवसीय कला महोत्सव का उदघाटन 14जीडब्ल्यूपीएच5– मंच पर डीसी व अन्य 14जीडब्ल्यूपीएच6-आदिवासी नृत्य प्रस्तुत करते प्रतिभागी गढ़वा. गढ़वा जिले में मंगलवार से कला महोत्सव का उदघाटन किया गया. तीन दिवसीय इस महोत्सव के दौरान संगीत कला, नाट्य कला, चित्रांकन, मूर्तिकला, दृश्यकला आदि की प्रस्तुति की जायेगी. इसमें चयनित […]

जी… बच्चों में छिपी प्रतिभा निखारें तीन दिवसीय कला महोत्सव का उदघाटन 14जीडब्ल्यूपीएच5– मंच पर डीसी व अन्य 14जीडब्ल्यूपीएच6-आदिवासी नृत्य प्रस्तुत करते प्रतिभागी गढ़वा. गढ़वा जिले में मंगलवार से कला महोत्सव का उदघाटन किया गया. तीन दिवसीय इस महोत्सव के दौरान संगीत कला, नाट्य कला, चित्रांकन, मूर्तिकला, दृश्यकला आदि की प्रस्तुति की जायेगी. इसमें चयनित प्रतिभागी रांची में आयोजित राज्यस्तरीय प्रतियोगिता में हिस्सा लेंगे. गोविंद उवि में प्रारंभ हुए इस महोत्सव का उदघाटन उपायुक्त ए मुत्थु कुमार ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया. प्रथम दिन संगीत व नृत्य से जुड़ी प्रतियोगिता करायी गयी. इसमें छठे वर्ग से 12वें तक के 47 विद्यालय के प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया. उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि सरकार का यह प्रयास है कि बच्चे कला के क्षेत्र में ऊंचाई हासिल करें. बच्चों में छिपी हुई प्रतिभा सामने आये और उसका उपयोग विद्यार्थी कैरियर बनाने में भी करें. उन्होंने कहा कि विद्यालय स्तर की इस प्रतियोगिता के माध्यम से बच्चे अल्पायु से ही अपनी संस्कृति की ओर से झुकेंगे. उन्होंने कहा कि भारत देश की सांस्कृतिक विरासत दुनिया में सबसे महान है. इसकी तुलना किसी और से नहीं की जा सकती. इस अवसर पर जिला शिक्षा पदाधिकारी रामयतन राम ने कहा कि जिले के सभी विद्यालयों के बच्चों में कला के क्षेत्र में प्रतिभा है, उसे निखारने के लिए सरकार ने एक बेहतर मंच प्रदान किया है. बच्चे इसमें अपनी प्रस्तुति देकर स्वयं की प्रतिभा साबित कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि इसके लिए पुरस्कार राशि भी सरकार की ओर से उपलब्ध करायी गयी है. इस मौके पर एसडीपीओ अंबुज्या पांडेय ने भी विचार रखे. जगह की कम, परेशानी कला महोत्सव के आयोजन में कई तरह की अव्यवस्थ से विद्यार्थियों को जूझना पड़ा. महोत्सव में हिस्सा लेने के लिये पूरे जिले के विद्यालयों को आमंत्रित किया गया था. भारी संख्या में बच्चे पहुंचे भी. लेकिन एक छोटे से हॉल में कार्यक्रम आयोजित करने से पूरी तरह से अराजक स्थिति देखने को मिली. आधे से अधिक बच्चे बाहर खड़े रहे. उनके लिए न तो बैठने की व्यवस्था थी और न ही पीने के पानी की. दिन भर रहने के बाद भी बच्चों के भोजन की भी कोई व्यवस्था नहीं की गयी थी. बच्चों के साथ लेकर आये शिक्षकों ने नाराजगी जताते हुए कहा कि जिस तरह का कार्यक्रम था, उसके अनुसार खुले में या बड़े हॉल में कार्यक्रम का आयोजन होना चाहिए था. लेकिन ऐसा नहीं कर बच्चों को उनके हाल पर छोड़ दिया गया. बच्चों ने भी इस व्यवस्था पर नाराजगी जतायी है.

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