मामला भवनाथपुर सेल आरएमडी माइंस के चूना -पत्थर खदान का, रोजगार पर संकट
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1178 हेक्टेयर भूमि सरेंडर की प्रक्रिया शुरू
मामला भवनाथपुर सेल आरएमडी माइंस के चूना -पत्थर खदान का, रोजगार पर संकट भवनाथपुर : गढवा जिला के भवनाथपुर स्थित औद्योगिक प्रतिष्ठान सेल आरएमडी माइंस के घघरा चूना पत्थर खदान का 1178 हेक्टेयर भूमि राज्य सरकार को सरेंडर करने कि कार्रवाई शुरू कर दी गयी है. भूमि सरेंडर करने के बाद चूना पत्थर खदान का […]
भवनाथपुर : गढवा जिला के भवनाथपुर स्थित औद्योगिक प्रतिष्ठान सेल आरएमडी माइंस के घघरा चूना पत्थर खदान का 1178 हेक्टेयर भूमि राज्य सरकार को सरेंडर करने कि कार्रवाई शुरू कर दी गयी है. भूमि सरेंडर करने के बाद चूना पत्थर खदान का अस्तित्व हमेशा के लिए समाप्त हो जायेगा. सेल प्रबंधन ने चूना पत्थर का डिमांड नहीं होने की बात कह कर खदान कि भूमि को सरेंडर करने का निर्णय लिया है. चूना पत्थर खदान के लिए प्रबंधन ने घाघरा में 675 हेक्टेयर, सरैया मे 275 हेक्टेयर, गुडगांवा में 228 हेक्टेयर भूमि राज्य सरकार से लीज पर लिया था. प्रबंधन द्वारा 1178 हेक्टेयर भूमि को सरेंडर करने के लिए सरेंडर प्लान के लिए करोड़ों का ठेका मेकन कंपनी को दिया गया है. भवनाथपुर प्रबंधन द्वारा भूमि सरेंडर के बाद रोजगार कि संभावना खत्म हो जायेगी. घाघरा चूना पत्थर खदान में काम को लेकर घाघरा, सरैया, गुडगांवा के डिस्पलेस वाले ग्रामीण काम कि मांग को लेकर कई बार आंदोलन कर चुके हैं.
वर्ष 2020 तक है खदान का लीज: घाघरा खदान का लीज 2020 तक होने के बाद भी प्रबंधन भूमि सरेंडर कर खदान के खुलने के आसार को समाप्त करने पर आमादा है. उल्लेखनीय है कि भवनाथपुर में 1980 में एशिया का सबसे बड़े क्रशिंग प्लांट की स्थापना की गयी थी. इसके लिए प्रबंधन ने हजारों हेक्टेयर भूमि चूना पत्थर के लिए लीज पर लेकर 1972 से उत्खनन शुरू किया. 2012 में मजदूर यूनियन व प्रबंधन की मिलीभगत से खदान के कार्यरत मजदूरों का फाइनल सेटलमेंट कर खदान को पूर्ण रूप से बंद कर दिया.
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