डुमरिया.
डुमरिया प्रखंड के बाकुलचंदा गांव में बना प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) का भवन धीरे-धीरे खंडहर में तब्दील हो रहा है. सुदूर क्षेत्र के ग्रामीणों को आसानी से मेडिकल सेवा देने के लिए लाखों खर्च कर भवन बनाया गया था. हालांकि, इसका लाभ लोगों को नहीं मिल रहा है. यहां के ग्रामीण जब भी केंद्र में सुविधा देने की मांग करते हैं, तो विभाग भवन की साफ-सफाई करा एक-दो दिन किसी एएनएम या चिकित्सक को भेज देता है. इसके बाद केंद्र बंद हो जाता है. पूर्वी सिंहभूम जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी स्वास्थ्य सेवा बदतर स्थिति में है. बीमार होने पर लोग भगवान भरोसे रहते हैं या ओडिशा और बंगाल की ओर रुख करते हैं.शोभा की वस्तु बना है लाखों का भवन
जानकारी के अनुसार, ठेकेदार ने सही से निर्माण कार्य नहीं किया. आनन-फानन में हैंड ओवर कराया गया. लाखों का भवन शोभा की वस्तु बना है. आरटीआई कार्यकर्ता सिर्मा देवगम ने स्वास्थ्य सचिव को पत्र लिखकर इसे नियमित रूप से चलाने की मांग कई बार की है. उस समय बताया गया था कि पीएचसी में 30 बेड होंगे. चार पंचायतों के लोग परेशान :यह अस्पताल नियमित चलने से केंदुआ, खैरबनी, बांकीसोल और खड़िदा पंचायत के लोग आसानी से चिकित्सा सुविधा का लाभ प्राप्त कर सकते हैं. उन्हें फिलहाल इलाज के लिए लंबी दूरी तय कर मुसाबनी के पारुलिया स्थित डुमरिया सीएचसी जाना पड़ता है. इससे लोगों को आर्थिक, मानसिक व शारीरिक परेशानियां होती हैं. सिविल सर्जन ने कई बार पीपीपी मोड में अस्पताल संचालन की बात कही. उस दिशा में भी ठोस पहल नहीं हुई.
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