मुसाबनी. मुसाबनी में आदिम जनजाति के उत्थान के लिए चल रही विकास योजनाओं का क्रियान्वयन सही ढंग से नहीं हो रहा है. सबर-बिरहोर परिवारों को योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है. आदिम जनजाति समाज में व्याप्त अशिक्षा व नशा सेवन के कारण अधिकतर योजनाओं में बिचौलिया हावी हैं. प्रखंड की फॉरेस्ट ब्लॉक पंचायत के आदिम जनजाति टोला टुमांगकोचा में बिरहोर-सबर के लिए बने बिरसा आवास में घटिया काली ईंट के उपयोग हुआ है. इसके कारण दो साल में आवास जर्जर हो गये. तेज आंधी में कई आवासों के ऊपर से टिन उड़ गये. आवास की दीवारों में दरारें आ गयी हैं. आवास कभी भी ध्वस्त हो सकता है.
सुराई सबर का बिरसा आवास जर्जर, डर से झोपड़ी में रहता है
टुमांगकोचा के सुराई सबर का बिरसा आवास जर्जर हो गया है. उसका परिवार डर से जर्जर आवास में नहीं रहता है. सड़क की दूसरी ओर झोपड़ी बनाकर अपने बच्चों के साथ रह रहा है. आदिम जनजाति के लिए चल रही आवास योजनाओं की गुणवत्ता पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है