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East Singhbhum News : एचसीएल व कोडेल्को में तकनीकी सहयोग से तांबा उद्योग को मिलेगा नया आयाम

चिली कंपनी कोडेल्को व एचसीएल के प्रतिनिधिमंडल ने राखा, सुरदा व केंदाडीह खदानों का किया दौरा

घाटशिला. भारत सरकार की पहल पर सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी एचसीएल और चिली की सरकारी स्वामित्व वाली कंपनी कोडेल्को के बीच हुए समझौते के तहत कोडेल्को का उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल आइसीसी इकाई के दौरे पर पहुंचे. प्रतिनिधिमंडल ने राखा, सुरदा और केंदाडीह खदानों का निरीक्षण किया और यहां की खनन गतिविधियों का अवलोकन किया. कोडेल्को के भू-विज्ञान और अन्वेषण विशेषज्ञ एंजेलो जियोवानी ग्यूसेप एगुइलर कैटलानो और जियोमेटलर्जी विशेषज्ञ सर्जियो जोनाथन पिचोट हेरिकेज ने दौरे के उपरांत संयुक्त रूप से बताया कि भारत और चिली के बीच हुए इस समझौते से खनन क्षेत्र में तकनीकी नवाचार और ज्ञान का साझा आदान-प्रदान होगा. कहा कि खदानों में मौजूद संसाधन अत्यंत समृद्ध हैं और यहां की कार्य प्रणाली में कुछ आवश्यक सुधारों से उत्पादन और गुणवत्ता में बड़ा सुधार लाया जा सकता है. विशेषज्ञों ने बताया कि एचसीएल की खदानों में खनिजों का ग्रेड उच्चस्तर का है और कोडेल्को की अत्याधुनिक ड्रिलिंग व खनन तकनीकों के उपयोग से इन खदानों की क्षमता को कई गुना बढ़ाया जा सकता है. प्रतिनिधियों ने यह भी बताया कि खदानों की पर्यावरणीय संरचना और प्राकृतिक संभावनाएं उल्लेखनीय हैं. कहा कि दोनों कंपनियां मिलकर अनुसंधान, विकास, प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण पर भी विशेष बल देगी. कोडेल्को के पास खनन क्षेत्र में 50 वर्षों से अधिक का वैश्विक अनुभव है, जिसका लाभ एचसीएल को निश्चित रूप से मिलेगा. खदानों के विस्तार, गहराई से मूल्यांकन और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से विकास की संभावनाएं बहुत मजबूत हैं.

तांबा उद्योग के लिए साबित होगा मील का पत्थर :

आइसीसी के यूनिट हेड श्याम सुंदर सेठी ने कहा कि कोडेल्को प्रतिनिधिमंडल की यह यात्रा एचसीएल और पूरे तांबा उद्योग के लिए मील का पत्थर साबित होगा. उन्होंने बताया कि कोडेल्को की तकनीक और अनुभव न केवल एचसीएल को बल्कि भारत के खनन उद्योग को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में नयी ऊंचाई पर ले जायेगा. गौरतलब है कि यह दौरा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चिली के राष्ट्रपति गेब्रियल बोरिक फॉन्ट की उपस्थिति में दोनों देशों के बीच हुए समझौता ज्ञापन (एमओयू) के तहत आयोजित किया गया है. इस एमओयू का उद्देश्य खनिज अन्वेषण, खनन, प्रोसेसिंग और मानव संसाधन प्रशिक्षण में सहयोग करना है. इससे भारत के खनन क्षेत्र को विश्वस्तरीय मानकों तक पहुंचाने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है.

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