जमशेदपुर.
परसुडीह क्षेत्र के तुपुडांग गांव में मंगलवार को चड़क मेले का आयोजन किया गया. इस चड़क मेले में भगवान शिव-पार्वती की पूजा के साथ-साथ विभिन्न करतब दिखाये गये. मंदिर में शिव की पूजा-अर्चना करने के लिए श्रद्धालुओं की लंबी लाइन लगी रही. वहीं, दूसरी ओर भगवान शिव के प्रति अपनी श्रद्धा व भक्ति को प्रकट करने के लिए श्रद्धालुओं ने अपनी पीठ पर लोहे का हुक लगवाया और 60 फीट ऊंचे गदाडांग पर चढ़कर झूले. लोहे का हुक लगाने के बाद श्रद्धालुओं के चेहरे पर थोड़ा सा भी सिकन व दर्द देखने को नहीं मिला. इस तरह अपनी पीठ पर हुक लगाकर गदाडांग पर नाचने वाले श्रद्धालु को भोक्ता के नाम से जाना जाता है. चड़क पूजा मेले को देखने के लिए सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु व दर्शक पहुंचे थे. तुपुडांग चड़क पूजा मेला समिति के अध्यक्ष भीमसेन भूमिज ने बताया कि शिवभक्त के शरीर को गदाडांग के ऊपर बांस चकरी में बांधकर झुलाया जाता है. यह बेहद ही कष्टदायक होता है. समाज के लोगों की मान्यता है कि महीने भर उपवास रखकर सेवा करने से इतनी शक्ति आ जाती है कि कष्ट का थोड़ा भी अनुभव नहीं होता है. उन्होंने बताया कि परसुडीह, गदड़ा, ब्यांगबिल, गोविंदपुर, छोटागोविंदर, नरवा, कदमडीह, जादूगोड़ा समेत आसपास के विभिन्न गांवों के लोगों को सालभर से इस मेला का इंतजार रहता. यहां शिव मंदिर है, जहां श्रद्धालु अपनी मन्नतें मांगते हैं. मेले में बतौर अतिथि के रूप में जिला परिषद के पूर्व उपाध्यक्ष राजकुमार सिंह, जिला परिषद उपाध्यक्ष पंकज सिन्हा, जमशेदपुर प्रखंड उपप्रमुख शिव हांसदा मौजूद थे.क्या कहते हैं भोक्ता श्रद्धालु
इस मेले में लगातार लंबे से समय से शामिल हो रहा हूं. लेकिन, पिछले पांच साल से लगातार पीठ पर हुक लगाकर भोक्ता बन रहा हूं. यह मैं स्वेच्छा से करता हूं और शिव के प्रति अपनी आस्था को प्रकट करता हूं.–
हानो कुंकल, भोक्ता
……………………हर साल मंदिर में पूजा करने आते हैं. हमें इस चड़क पूजा में आस्था है. हम अपनी स्वेच्छा से अपनी पीठ पर लोहे का हुक लगवाते हैं. आस्था की वजह से हमें शरीर में किसी तरह का दर्द महसूस नहीं होता है.–
महेश लोहार, भोक्ता
……………….चड़क पूजा मेले में लगातार 13 साल से शामिल हो रहा हूं. हमें भगवान शिव पर आस्था है. हुक लगाते समय थोड़ा सा दर्द का अनुभव होता है. उसके बाद बिलकुल दर्द नहीं होता है. सब कुछ सामान्य रहता है.–
मिथुन कर्मकार, भोक्ताB
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