घाटशिला. घाटशिला वन क्षेत्र के पहाड़ों से सटे अधिकांश गांवों के ग्रामीणों की जिंदगी जंगल के भरोसे चल रही है. जंगल ही सबसे बड़ा रोजगार का साधन इनके लिए बना है. एक तरह से ग्रामीणों के जीवन और जीविका का आधार ही जंगल है. घाटशिला की कालचिती और भादुआ पंचायतों में हजारों लोग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से वन उत्पादों पर निर्भर होकर अपने परिवार का पेट पाल रहे हैं. साल, केंदू, जामुन, कटहल, आम, काजू ग्रामीणों के लिए कमाई का जरिया है. महिलाएं साल के पत्तों से दोना-पत्तल बनाती हैं, जबकि पुरुष केंदू पत्ता, काजू फल, दातुन, साबे की रस्सी और अन्य वन उपजों को जंगल से इकट्ठा कर बाजारों में बेचते हैं. यही नहीं जामुन और कटहल जैसे मौसमी फलों से भी कई परिवारों को आय का सहारा है. कालचिती की जनसंख्या लगभग 12 हजार है, इसमें 13 राजस्व गांव शामिल हैं. अधिकांश गांव पहाड़ों की तलहटी में और वन क्षेत्र के करीब बसे हैं. पंचायत के मुखिया बैद्यनाथ मुर्मू ने कहा यहां के गरीब और मध्यम वर्गीय परिवार पूरी तरह से वन उत्पादों पर निर्भर हैं. जंगल है, तो रोजगार है. इसलिए गांवों में जंगल संरक्षण के लिए जागरूकता अभियान चलाया जायेगा. राजस्व गांवों में बासाडेरा, डायनमारी, टिकड़ी, बुरुडीह, रामचंद्रपुर, कालचिती, हीरागंज, दीघा, चापड़ी, बांधडीह, मकड़ा और ऐदलबेड़ा जैसे गांव शामिल हैं, जो मुख्यतः वन क्षेत्र में स्थित है.
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