पटमदा.
आदिवासी कुड़मी समाज के तत्वावधान में कुड़मालि भाखि चारी अखड़ा, लोवाडीह में बुधवार को दर्जनों गांव की व्रतियों ने पारंपरिक रीति-रिवाज के साथ धूमधाम से करम पर्व मनाया. इस दौरान आज रे करम गोसाईं घरे-दुआरे, काइल रे करम गोसाईं कांस नदी पारे, जैसे पारंपरिक करम गीतों की गूंज से पूरा वातावरण झूम उठा. आकुस के केंद्रीय सह सचिव जयराम महतो ने कहा कि करम पर्व प्रकृति की सृजन शक्ति को धन्यवाद देने वाला पर्व है. बीज से पेड़-पौधे का रूप धारण करने वाली यही शक्ति कृषि का आधार है, जिसे हमारे पूर्वजों ने परंपरा व नृत्य-गीत के माध्यम से मनाना शुरू किया था.करम पर्व भाई-बहन के पवित्र प्रेम का प्रतीक है
आकुस अध्यक्ष विनय कुमार महतो ने कहा कि करम पर्व भाई-बहन के पवित्र प्रेम व करम-धरम की गहरी आस्था का प्रतीक है. करम पेड़, करम डाइर और जउआ डाला नवसृजन और सामाजिक एकता का प्रतीक है. मौके पर जयराम महतो, विनय महतो, समाजसेवी विश्वनाथ महतो, साधन महतो, बासु महतो, कृतिबास महतो, प्रदीप महतो, विकास महतो, माणिक महतो आदि ने पूजा-अर्चना की.
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