पोटका.
ओलचिकी के जनक गुरु पंडित रघुनाथ मुर्मू की 120वीं जयंती सोमवार को पोटका में मनायी गयी. पोटका में स्थापित पंडित रघुनाथ मुर्मू की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि दी गयी. इस मौके पर बच्चों के बीच प्रतियोगिता का आयोजन किया गया. मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में विधायक संजीव सरदार एवं विशिष्ट अतिथि ओलचिकी के प्रचारक एवं अनुयायी रहे दुर्गा प्रसाद मुर्मू उपस्थित थे. मौके पर विधायक संजीव सरदार ने कहा कि गुरु गोमके पंडित रघुनाथ मुर्मू ने संताली लिपी ओलचिकी का आविष्कार कर संताली समाज को विश्व में पहचान दिलाने का काम किया. संताली लिपी आज हर क्षेत्र में देखने को मिलता है. पंडित रघुनाथ मुर्मू को सम्मान स्वरूप झारखंड सरकार ने उनके जन्म दिन पर राजकीय अवकाश की घोषणा की है. उन्होंने कहा कि समाज का प्रयास हो कि संताली समाज का एक-एक बच्चा संताली भाषा के साथ-साथ ओलचिकी लिपी सीखे. इसके लिए जनजागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है. इस अवसर पर गीत गाकर उनकी यादों को जीवंत किया. इस अवसर पर “सीत सकाम हाटीइंज ” गुरु गोमके पंडित रघुनाथ मुर्मू ऑल इतुन असड़ा द्वारा संचालित ओलचिकी स्कूल की परीक्षा में 31 उत्तीर्ण छात्रों को सर्टिफिकेट दिया गया. मौके पर प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया. मौके पर मुख्य रूप से माझी बाबा जयराम मुर्मू, माझी बाबा बिरेन टुडू, पूर्व जिला परिषद सदस्य चंद्रावती महतो, सुनील महतो, सुधीर सोरेन, दुखु मार्डी, शिवचरण मुर्मू, बिरेन बास्के, खेलाराम सोरेन, ठाकुर हांसदा, रामाई बास्के, शिबू सोरेन, शंकर हांसदा, भाषण टुडू, संजय हांसदा, सुराई हांसदा, रामसिंह सोरेन, बुढ़ान टुडू, खेलाराम हांसदा, छकुराम मुर्मू, चरण हांसदा, तुपका बास्के, सोशो मौजूद थे.
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