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East Singhbhum News : सबरों पर ठंड की मार, जर्जर आवासों में दरवाजे तक नहीं

आदिम जनजाति के पास न कंबल, न अलाव, ठिठुरते कट रहीं ठंड की रातें

गालूडीह. सबरों पर ठंड की मार अधिक पड़ रही है. उनके पुराने जर्जर बिरसा और इंदिरा आवासों में दरवाजे तक नहीं हैं. खिड़कियां खुली हैं. जहां सबर फटे-पुराने कंबल का पर्दा टांगकर किसी तरह सर्द रातें ठिठुरते हुए काट रहे हैं. घाटशिला प्रखंड के दारीसाई, घुटिया, केशरपुर, गुड़ाझोर, धोडांगा, खड़ियाडीह, हलुदबनी, भादुआ, बासाडेरा, कानीमहुली आदि जगहों में सबर और बिरहोर समाज के लोग निवास करते हैं. अधिकतर जगहों पर वर्षों पुराने इंदिरा या बिरसा आवास हैं. इसमें खिड़की और दरवाजे नहीं हैं. ऊपर से आवास भी जर्जर हैं. इसी आवास में ठिठुरते हुए सबर-बिरहोर रह रहे हैं. गर्मी और बरसात को किसी तरह गुजार लेते हैं, पर ठंड की सर्द रातें मुश्किल से कटती है. ऊपर से सरकारी कंबल भी सबरों को अभी तक नहीं मिला है.

अभी तक नहीं पहुंचा कंबल : प्रशासन

प्रखंड सह अंचल प्रशासन से पूछने पर कहा गया कि अभी तक कंबल नहीं पहुंचा है. पहुंचेगा तो पंचायत स्तर पर प्राथमिकता के तौर पर पहले सबर-बिरहोर और गरीबों के बीच ही बंटेगा. कब कंबल आयेगा और कब बंटेगा यह पता नहीं. नवंबर माह खत्म हो गया. कुछ समाजसेवी सबर बस्तियों में जाकर कंबल और गर्म कपड़े बांट रहे हैं. पर यह सभी सबरों को नहीं मिल रहा है. सबर बस्ती में अलाव की भी कोई सरकारी व्यवस्था नहीं है. सबर-बिरहोर जंगलों से जो लकड़ियां लाते हैं उसमें से कुछ हिस्सा शाम को जलाकर आग तापकर ठंड से बचाव कर रहे हैं.

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