डुमरिया : डुमरिया के भागाबांधी हाट मैदान में गुरुवार को आदिवासी सुरक्षा परिषद के केंद्रीय समिति के अध्यक्ष रमेश हांसदा ने कहा कि आदिवासियों की बेटी और रोटी पर खतरा मंडरा रहा है. आदिवासी इस धरती पर आज तक केवल संघर्ष के बदौलत बच पाये हैं. अंग्रेजों के शासन के समय आदिवासियों के संघर्ष के कारण हमारे वजूद की सुरक्षा के लिए एसपीटी और सीएनटी दो कानून बने थे. यह हमारे अस्तित्व को बचाने में बहुत हद तक कारगर साबित हुए.
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के अाह्वान पर देश में बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ अभियान जोरों से चल रहा है. वहीं आदिवासी समाज अपनी बेटियों को अपने समाज में बचाये रखने में नाकाम हो रहा है. उन्होंने कहा कि गैर आदिवासी अंतरजातीय विवाह का सहारा लेकर, अब तो संवैधानिक पदों पर भी कब्जा जमाये हुए हैं. आदिवासी सुरक्षा परिषद के अाह्वान पर अंतरजातीय विवाह उपरांत संवैधानिक अधिकारों का हस्तांतरण के खिलाफ आवाज बुलंद करना होगा. मौके पर संजय लकड़ा, सुरेंद्र टुडू, दुखु सामद, भीम सोरेन, गोपाल मुर्मू, नारान हेंब्रम, कान्हुराम हांसदा आदि उपस्थित थे.