मुसाबनी : मुसाबनी प्रखंड के सबसे पिछड़े पंचायत फॉरेस्ट ब्लॉक के ग्रामीण सरकारी योजनाओं से वंचित हैं. पुटरूकोचा और टुमांगकोचा के नेत्रहीनों को स्वामी विवेकानंद प्रोत्साहन भत्ता नहीं मिल रहा है. 100 प्रतिशत विकलांगता का प्रमाण पत्र लिये पिछले पांच वर्षों से उक्त नेत्रहीन स्वामी विवेकानंद प्रोत्साहन भत्ता के लाभ के लिए दर- दर की ठोकरें खा रहे हैं. पुटरूकोचा के त्रिभुवन दोंगो की दोनों आखें खराब हो गयी हैं.
ग्रामीणों की मदद से पांच वर्ष पूर्व विकलांगता प्रमाण पत्र बना कर वह सरकारी सुविधा के लाभ के प्रयास में जुटे हैं. मुखिया सुनीता बानरा के मुताबिक श्री दोंगो को स्वामी विवेकानंद प्रोत्साहन भत्ता दिलाने के लिए कई बार आवेदन जमा कराया गया है. लेकिन अभी तक उन्हें भत्ता नहीं मिला है. श्री दोंगो के परिवार में पत्नी राटे दोंगो और चार बच्चे हैं. पत्नी राटे दोंगो ही परिवार का भरण पोषण कर रही है.
टुमांगकोचा के पूर्ति राम माझी (48) की दोनों आंखें खराब हैं. श्री माझी के पास शत प्रतिशत दिव्यांग होने का प्रमाण पत्र है. इंटर उत्तीर्ण श्री माझी पाथरगोड़ा में अस्थायी मजदूर थे. 10 वर्ष पूर्व उन्हें ब्रेन ट्यूमर हुआ और दोनों आंखों की रोशनी चली गयी. परिवार में पत्नी सालखो मुर्मू और एक बेटा प्रेमचांद मुर्मू है. आर्थिक बदहाली के कारण परिवार वाले श्री माझी का इलाज नहीं करा पा रहे हैं. रुपये के अभाव में बेटे की पढ़ाई छूट गयी है. पत्नी सालखो खेती कर परिवार चला रही है. श्री माझी को पिछले पांच वर्ष स्वामी विवेकानंद प्रोत्साहन भत्ता के लिए आवेदन दिया. मगर स्वीकृति नहीं मिली है. इसी टोला में आजजा के पिदुंग सबर (65) नेत्रहीन है. 10 वर्ष पूर्व ठंड से बचने के लिए आग तापने के दौरान उनका चेहरा बुरी तरह से झुलस जाने से आंखों की रोशनी चली गयी. इस नेत्रहीन वृद्ध सबर को अब तक सामाजिक सुरक्षा के तहत आर्थिक सहायता भी नहीं मिल पायी है. मुखिया सुनीता सबर ने पंचायत के नेत्रहीनों को स्वामी विवेकानंद प्रोत्साहन भत्ता शीघ्र दिलाने की मांग की है.